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साभार: जागरण समाचार
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खरीफ सीजन के बाद पहली बार रबी सीजन की भी सभी फसलों के लिए संशोधित नीति के तहत लागत में 50 फीसद से अधिक मार्जिन जोड़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा की गई है। रबी सीजन की
प्रमुख फसल गेहूं की लागत 866 रुपये में 112 फीसद मार्जिन जोड़कर एमएसपी 1840 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है जो पिछले साल से 105 रुपये अधिक है। तिलहनी फसलों सरसों व तोरिया में 90 फीसद मार्जिन जोड़कर एमएसपी तय किया गया है। समर्थन मूल्य में इस वृद्धि से किसानों को 62635 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी होने का अनुमान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में कृषि मंत्रलय के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई है। मंत्रलय ने कृषि लागत व मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों में बिना किसी संशोधन के प्रस्ताव तैयार किया था।
मंत्रिमंडल के फैसले की जानकारी देने आए केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने बताया कि गेहूं की लागत 866 रुपये प्रति क्विंटल के मुकाबले एमएसपी 112 फीसद अधिक तय किया गया है। गेहूं का मूल्य 1840 रुपये कर दिया गया है। जबकि जौ की खेती की लागत 860 रुपये आंकी गई है, जिसका समर्थन मूल्य 67 फीसद बढ़ाकर 1440 रुपये कर दिया गया है। यह पिछले साल के समर्थन मूल्य के मुकाबले 30 रुपये अधिक है।
रबी सीजन की प्रमुख दलहन फसल चने के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिहाज से उसकी लागत 2637 रुपये प्रति क्विंटल के मुकाबले समर्थन मूल्य 4620 रुपये प्रति क्ंिवटल कर दिया गया है। इसमें लागत के मुकाबले एमएसपी 75 फीसद अधिक रखा गया है।
यह मूल्य पिछले साल के एमएसपी 4400 रुपये के मुकाबले 220 रुपये अधिक है। जबकि मसूर का समर्थन मूल्य बढ़ाकर 4475 रुपये प्रति क्ंिवटल कर दिया गया है। यह पिछले साल के मुकाबले 225 रुपये अधिक है।