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साभार: जागरण समाचार
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लोकसभा चुनाव के लिए महागठबंधन की वकालत कर रही कांग्रेस को बसपा ने करारा झटका दे दिया है। कांग्रेस पर भाजपा से भी एक कदम आगे बढ़कर बसपा को ध्वस्त करने का आरोप लगाते हुए पार्टी ने आगामी
विधानसभा चुनावों में कांग्रेस से हाथ नहीं मिलाने का एलान कर दिया है। हालांकि, कांग्रेस के लिए अभी एक भरोसा बाकी है कि लोकसभा चुनाव के लिए महागठबंधन को लेकर बसपा नेत्री मायावती ने कोई खुला बयान नहीं दिया है। लेकिन तीखी बयानबाजी ने यह तो तय कर दिया है कि महागठबंधन बना और कांग्रेस बसपा को जोड़ने में कामयाब भी रही तो शर्ते भारी होंगी। हाथ जलने का भी डर होगा।
कुछ ही दिन पहले छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की बजाय अजित जोगी की क्षेत्रीय पार्टी से चुनावी समझौता कर मायावती ने बता दिया था कि वह दबाव में नहीं हैं। बुधवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के एक बयान पर भड़कीं मायावती ने एक-एक परत खोल दी और यह तक गिना दिया कि कांग्रेस काल में बाबा साहेब आंबेडकर से लेकर कांशीराम तक का अपमान ही हुआ है। उन्हें कभी सम्मान नहीं दिया गया। फिर भी बसपा ने भाजपा को परास्त करने के लिए बड़े लक्ष्य के साथ कांग्रेस का साथ दिया और धोखा खाया। शुक्रगुजार होने की बजाय वे पीठ में छुरा घोंपते हैं। ऐसी स्थिति में बसपा अपनी राह चलेगी।
मालूम हो कि दिग्विजय सिंह ने एक साक्षात्कार में कहा था कि मायावती भाजपा के दबाव में समझौता नहीं कर रही हैं। मायावती ने कहा कि बसपा डरने वाली पार्टी नहीं है। सच यह है कि दिग्विजय भाजपा के एजेंट हैं। छत्तीसगढ़ की तरह ही मध्य प्रदेश और राजस्थान विधानसभा चुनाव में भी बसपा या तो अकेली या फिर क्षेत्रीय दलों के साथ चुनाव लड़ेगी। जाहिर तौर पर यह कांग्रेस के लिए झटका है। कांग्रेस के लए राहत की बात सिर्फ इतनी है कि मायावती ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी या उनकी मां सोनिया गांधी पर हमला नहीं किया। उन्होंने कहा कि वे दोनों नेता दिल से चाहते हैं कि बसपा के साथ गठबंधन हो। लेकिन नीचे कई नेता हैं जो खिलाफ काम कर रहे हैं। फिलहाल मायावती लोकसभा चुनाव में गठबंधन पर भी कुछ बोलने से बचीं। लेकिन कांग्रेस को उसकी राजनीतिक हैसियत याद दिलाने से नहीं चूकीं जो यह संकेत है कि भविष्य में गठबंधन को लेकर वार्ता होगी तो कांग्रेस को सख्त शर्तो से गुजरना होगा।
मायावती ने कहा, ‘कांग्रेस में गलतफहमी के साथ-साथ अहंकार भी सिर चढ़कर बोल रहा है। रस्सी जल गई पर ऐंठन नहीं गई है। जनता कांग्रेस को माफ करने के लिए तैयार नही है। अलग-अलग लड़ते हुए भाजपा को नहीं रोका जा सकता और यही हुआ भी है।’
मायावती ने कहा कि कांग्रेस ने बसपा को छत्तीसगढ़ में पांच और मध्य प्रदेश में 15-20 सीटों का प्रस्ताव दिया था। जबकि वह जानती है कि बसपा का प्रभाव क्षेत्र बड़ा है। ऐसे में बसपा ने अकेले ही चुनाव लड़ने का मन बनाया है। जो भी हो, यह स्पष्ट है कि लोकसभा चुनाव के लिए महागठबंधन की बात आएगी तो कांग्रेस को बसपा ही नहीं दूसरे दलों की ओर से भी ऐसी ही शर्तो का सामना करना पड़ेगा। शायद तब कांग्रेस को अपने कैडर की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए ही सख्त फैसला लेना पड़े।