साभार: जागरण समाचार
सतलोक आश्रम के संचालक रामपाल को नया नाम मिल गया है। अब वह कैदी नंबर 1005 से जाना जाएगा। नंबर मिलने के साथ उसे जेल में काम करने की ड्यूटी भी मिल गई है। जेल में उसे बागवानी का
काम दिया गया है। जेल के नियमानुसार बंदी से कोई काम नहीं करवाया जाता। कोर्ट से सजा होने के बाद काम करवाने का नियम है। अब रामपाल को सजा होने के साथ उसको भी कैदी का नंबर मिल गया है। 1005 नंबर मिलने के बाद अब रामपाल की जेल के अंदर यही पहचान होगी। जेल प्रशासन ने रामपाल को काम भी सौंप दिया है। उसे जेल के पर्यावरण को सुधारने के लिए फूल-पौधे उगाने और उनकी देखभाल करने की जिम्मेदारी दी जाएगी। साथ ही जेल के बंदियों और कैदियों के लिए वह सब्जियां भी उगाएगा।
महिलाओं की रहेगी अलग जिम्मेदारी: रामपाल केस में सतलोक आश्रम की महिला ¨वग प्रमुख बबीता उसकी बहन भिवानी निवासी पूनम और उसकी मौसी जींद निवासी सावित्री को भी राजगढ़ रोड स्थित सेंट्रल जेल दो परिसर में बनी महिला जेल में रखा गया है। इन्हें भी जेल प्रशासन की तरफ से काम दिया जाएगा।
बरामद दो डंडों और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों ने सजा का रास्ता किया पक्का: सतलोक आश्रम प्रकरण में हत्या के मुकदमा नंबर 429 में दो डंडों की बरामदगी और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों ने आश्रम प्रमुख रामपाल, उसके बेटे वीरेंद्र उर्फ बिजेंद्र, भानजे जोगेंद्र उर्फ बिल्लू और अन्य दोषियों की सजा का रास्ता पक्का कर दिया। इस हाईप्रोफाइल हत्या के मुकदमे को लेकर पुलिस के पास ऐसा कोई चश्मदीद गवाह नहीं था, जो दोषियों को सजा सुनाने के लिए अहम कड़ी साबित होता। बरवाला थाना पुलिस ने 18 नवंबर 2014 को आश्रम में संगरूर की मलकीत कौर, राजबाला, संतोष, आदर्श और दिल्ली की सरिता की मौत हो गई थी। पुलिस ने इस संबंध में हत्या का केस दर्ज कर आश्रम प्रमुख रामपाल समेत 15 को आरोपित बनाकर गिरफ्तार किया था।शिकायतकर्ता अपने बयान से मुकर गया था1दिल्ली के बदरपुर का शिवपाल हत्या के मुकदमे का शिकायतकर्ता था। वह अदालत में पूर्व में दिए अपने बयान से पलट गया था। उसने कहा था कि आश्रम प्रमुख की वजह से नहीं, बल्कि पुलिस की वजह से सरिता और अन्य की मौत हुई है। इससे पुलिस को झटका लगा था। लेकिन फिर भी आश्रम प्रमुख रामपाल और अन्य आरोपितों को राहत नहीं मिली। उसने कहा था कि पुलिस के आंसू गैस के गोलों की वजह से ये मौतें हुई हैं। बरवाला थाना पुलिस ने इस मुकदमे में 45 गवाह बनाए थे। इसके अलावा 13 गवाह सफाई के बनाए गए थे। पुलिस के पांच प्राइवेट गवाह मुकर गए थे।