वीआइपी गाड़ियों से लाल बत्ती हटने के बाद से राष्ट्रीय राजमार्गो पर टोल संग्रह में पांच फीसद का हुआ है। दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने
यह रोचक तथ्य साझा किया। उन्होंने कहा कि अच्छी सुविधाएं चाहिए तो सभी को पैसे खर्च करने पड़ेंगे। इसलिए निर्धारित श्रेणियों को छोड़ सभी को टोल टैक्स देना होगा।
गडकरी ने कहा कि सरकार ने टोल संग्रह बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय राजमार्गो के 351 टोल प्लाजाओं की एक-एक लेन में इलेक्ट्रानिक टोल संग्रह प्रणाली लगाई है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। लेकिन शीघ्र ही इसका विस्तार सभी लेनों में किया जाएगा। दरअसल, सड़कों के रखरखाव के लिए रोड यूजर चार्ज के रूप में टोल वसूली को दुनिया भर में मान्यता दी गई है।
टोल संग्रह में सहूलियत व पारदर्शिता के लिए सरकार ने 2015 में इलेक्ट्रानिक टोल कलेक्शन प्रणाली (ईसीएस) लागू की थी। इसे अब तक 351 टोल प्लाजाओं में लागू किया जा चुका है। इससे टोल संग्रह में हुआ है। वर्ष 2013-14 में जहां 11,437 करोड़ रुपये का टोल संग्रह हुआ था। वहीं ईसीएस लागू होने के बाद 2015-16 में इसके 16 हजार करोड़ रुपये पर पहुंचने का अनुमान है। जहां तक लाल बत्ती कल्चर का सवाल है तो सरकार ने एक अप्रैल, 2017 से वीआइपी वाहनों पर लाल बत्ती लगाने पर रोक लगा दी थी। साल में लगभग 16 हजार करोड़ का टैक्स टोल से आता है। इस तरह पूरे साल भर में 800 करोड़ रुपये से अधिक का अतिरिक्त कर संग्रह केवल लालबत्ती खत्म होने की वजह से होगा। हालांकि इलेक्ट्रानिक टोलिंग के विस्तार जैसे अन्य कारणों से टोल संग्रह में वास्तविक बढ़ोतरी इससे भी कहीं ज्यादा होने की संभावना है।
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साभार: जागरण समाचार
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