साभार: जागरण समाचार
इनेलो विधायक दल के नेता अभय चौटाला ने आम आदमी पार्टी और जननायक जनता पार्टी के बीच हुए गठबंधन को असंवैधानिक करार देते हुए कहा है कि यह गठबंधन राजनीतिक व सैद्धांतिक नहीं है। चौटाला ने
कहा कि इस गठबंधन का असल उद्देश्य इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला को जेल से बाहर आने से रोकना है। यह गठबंधन हरियाणा के प्रत्येक किसान के साथ धोखा है।
चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत में अभय चौटाला, अशोक अरोड़ा और रामपाल माजरा ने कहा कि इस गठबंधन को हरियाणा की जनता ने स्वीकार नहीं किया है क्योंकि इसके कोई राजनीतिक मायने नहीं हैं। अभय ने कहा कि व्यक्ति विशेष को हानि पहुंचाने के लिए किए गए बेमेल गठबंधनों का अंत बहुत हानिकारक होता है। अभय ने कहा कि जिन लोगों ने आजतक दलबदल किया है वह कभी भी लोकसभा और विधानसभा की सीढ़ी नहीं चढ़ पाए हैं। हिसार लोकसभा सीट के बारे में बोलते हुए दुष्यंत चौटाला को नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि हिसार में कुछ लोगों का भविष्य दांव पर है, जो इस चुनाव में अस्तित्व की लड़ाई लड़ेंगे। चुनाव के बाद वह विक्टिम बनेंगे। अभय ने कहा कि वर्तमान राजनीतिक परिवेश में भाजपा प्रत्याशियों का हर तरफ विरोध हो रहा है। आए दिन उनके विरोध के वीडियो वायरल हो रहे हैं। कांग्रेस के पास प्रत्याशियों का भारी अभाव है।
अरविंद केजरीवाल को घेरते हुए अभय चौटाला ने कहा कि उन्हें हरियाणा में आने से पहले पंजाब के अपने चुनावी घोषणा पत्र को पढ़ना चाहिए, जिसमें उन्होंने हरियाणा को पानी न देने की बात की है। अभय ने दावा किया कि इनेलो की सरकार बनते ही हरियाणा को उसके हिस्से का पानी दिलवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करवाया जाएगा।
अभय ने कहा कि आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल तो एसवाईएल का पानी हरियाणा को दिए जाने के खिलाफ रहे हैं। भाजपा-अकाली गठबंधन पर सवाल उठाते हुए अभय चौटाला ने कहा कि इसका मतलब साफ है कि भाजपा प्रदेश के किसानों के खिलाफ है। अकाली दल भी एसवाईएल में बड़ा रोड़ा रहा है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : देवीलाल के परिवार में राजनीतिक बिखराव के बाद पहला चुनाव लड़ रही इनेलो ने लोकसभा चुनाव में नामचीन चेहरों की बजाय आम कार्यकर्ताओं पर दांव खेला है। जिन प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा गया, उनमें केवल एक प्रत्याशी को छोड़कर अन्य कोई चर्चित चेहरा नहीं है। अभय चौटाला ने जिन प्रत्याशियों को सीधे लोकसभा चुनाव के मैदान में उतारा है, उनमें से कई तो ऐसे हैं जिन्होंने अब तक या तो कोई चुनाव नहीं लड़ा या फिर पार्षद या इसके समकक्ष चुनाव ही लड़े हैं।
आम कार्यकर्ताओं को सीधे लोकसभा के रण में उतारकर अभय चौटाला ने बड़ा राजनीतिक जोखिम लिया है, लेकिन इस जोखिम से उनके कार्यकर्ताओं को बल मिलेगा। चुनाव में हार-जीत को अगर नजर अंदाज कर दिया जाए तो अभय चौटाला ने अपने संगठन को काफी हद तक मजबूती देने के लिए कदम उठाया है। आम कार्यकर्ताओं को प्रत्याशी के रूप में चुनावी रण में उतारने का फैसला अभय चौटाला का है, जिस पर पार्टी अध्यक्ष ओमप्रकाश चौटाला ने भी सहमति की मुहर लगाई है। अंबाला सीट से सेवानिवृत्त आइएएस बीडी ढालिया का नाम लगभग तय था लेकिन अभय ने बड़ा कदम उठाते हुए यमुनानगर के पूर्व डिप्टी मेयर एवं चार बार पार्षद रहे रामपाल वाल्मीकि को चुनाव मैदान में उतारा है। हिसार लोकसभा सीट से पार्टी के किसान प्रकोष्ठ से जुड़े रहे सुरेश कौंथ एक समय में अजय चौटाला के करीबी होते थे। वर्तमान हालात में कौंथ व उनके समर्थक दुष्यंत चौटाला के साथ न जाएं इसके लिए अभय ने उन्हें चुनाव मैदान में उतार कर बड़ा तमगा लगा दिया है।
सिरसा लोकसभा सीट पर चरणजीत सिंह रोड़ी को इसलिए टिकट दी गई है कि वह हाल ही में हुई उठापटक के बावजूद अभय चौटाला के साथ तटस्थ रहे हैं। लोकसभा में दुष्यंत के साथी होने के बावजूद रोड़ी ने अपनी वफादारी नहीं छोड़ी, जिसका ईनाम अभय चौटाला ने दोबारा टिकट के रूप में दिया है। फरीदाबाद में अभय ने पूर्व जिला अध्यक्ष एवं वर्तमान में पार्टी के प्रदेश सचिव महेंद्र सिंह चौहान को चुनाव मैदान में उतारा है। करनाल लोकसभा सीट से पार्टी के जिला अध्यक्ष को चुनाव मैदान में उतारने की बता कही जा रही थी लेकिन अभय ने करनाल को छोड़ असंध को आगे करते हुए यहां से विधानसभा अध्यक्ष धर्मवीर पाढ़ा को सीधे लोकसभा चुनाव लड़वा दिया है। सोनीपत लोकसभा सीट से पूर्व पुलिस महानिदेशक एमएस मलिक का नाम तय था, लेकिन अभय चौटाला ने इस सीट पर भी पार्टी के साथ लंबे समय से जुड़े जिला कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र छिकारा पर दांव खेला है।