साभार: जागरण समाचार
आधा दर्जन से अधिक महकमों के कर्मचारियों को पुलिस की तर्ज पर पांच हजार रुपये जोखिम भत्ता देने का मुद्दा अफसरों की कमेटी में उलझ गया है। वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने 27 अप्रैल 2017 को कर्मचारियों की
मांग पर कमेटी गठित कर एक पखवाड़े में रिपोर्ट मांगी थी। दो साल बीते, लेकिन न कमेटी की कोई बैठक हुई और न ही कोई रिपोर्ट सरकार को सौंपी गई।
अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास की अगुवाई में गठित कमेटी में बिजली विभाग के प्रधान सचिव व शहरी स्थानीय निकाय विभाग के महानिदेशक को सदस्य और वित्त विभाग की विशेष सचिव आशिमा बराड़ को सदस्य सचिव बनाया गया था। कमेटी को सरकारी विभागों व बोर्ड-निगमों में अत्यंत जोखिम पूर्ण कार्यों की पहचान करने और बीमा योजना, अन्य विशेष स्कीम या जोखिम भत्ता देने की रिकमंडेशन करने का जिम्मा सौंपा गया।
सर्व कर्मचारी संघ के महासचिव सुभाष लांबा ने आरोप जड़ा कि अभी तक कमेटी की न कोई औपचारिक मीटिंग हुई है और न ही कर्मचारी नेताओं को अपने सुझाव देने के लिए आमंत्रित किया है। उन्होंने कहा कि बिजली, रोडवेज, स्वास्थ्य, शहरी स्थानीय निकाय विभाग, मलेरिया विभाग, पशुपालन, जन स्वास्थ्य, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण जैसे विभागों के कर्मचारी अत्यंत जोखिम पूर्ण काम करते हैं। इससे उन्हें अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है। इसलिए उन्हें जोखिम भत्ता दिया जाना चाहिए।