साभार: जागरण समाचार
राजस्थान से सटी बांगर बेल्ट का प्रमुख शहर हिसार..सन 1354 में तुगलक वंश के शासक फिरोज शाह तुगलक ने इस शहर को बसाया था..उस समय इसका नाम हिसार-ए-फिरोजा था..अकबर के शासनकाल में इसके नाम
से फिरोजा हटा दिया गया और केवल हिसार रह गया..इतिहास के आईने से देखें तो हिसार पर कई साम्राच्यों का शासन रहा..तीसरी सदी ई.पू. में मौर्य राजवंश, 13वीं सदी में तुगलक वंश, 16वीं सदी में मुगल साम्राच्य और 19वीं सदी में ब्रिटिश साम्राच्य ने हिसार पर कब्जा किया।
हिसार सबसे बड़े जस्ती लोहा उत्पादन का शहर भी है..जिससे इसे इस्पात का शहर भी कहा जाता है..मौसम के लिहाज से देश के बाकी शहरों की अपेक्षा हिसार का मिजाज कुछ ज्यादा ही गरम रहता है..झुलसा देने वाली गरमी में यहां का तापमान 47 से 49 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है..ऐसी ही तासीर यहां की राजनीति की है। सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री चौ. भजनलाल के नाम से हिसार की राजनीतिक पहचान है। पिछले लोकसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री चौ. देवीलाल के पड़पोते दुष्यंत चौटाला ने भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई को हराकर अपनी धाक जमाई थी। भाजपा आज तक इस सियासी जमीन पर अपनी पार्टी का कमल नहीं खिला सकी।
पिछला लोकसभा चुनाव भाजपा और हजकां ने मिलकर लड़ा था। हिसार व सिरसा लोकसभा सीटें हजकां के खाते में आई थी और बाकी आठ सीटों पर भाजपा ने ताल ठोंकी। भाजपा अपने हिस्से की सात सीटें जीत गई मगर तत्कालीन हजकां प्रमुख कुलदीप बिश्नोई हिसार और सिरसा दोनों सीटें हार गए। अब कुलदीप कांग्रेस में लौट आए हैं और अपने बेटे भव्य बिश्नोई की लांचिंग की तैयारी में हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव की तासीर भी काफी गरम रहने वाली है। रोहतक के बाद हिसार हरियाणा की सबसे हाट सीट होगी। दीनबंधु सर छोटू राम के नाती बीरेंद्र सिंह हिसार में अपने आइएएस बेटे बृजेंद्र सिंह को भाजपा का टिकट दिलाने में कामयाब हो गए। इसके बदले उन्हें अपना केंद्रीय मंत्री पद गंवाना पड़ा है। भाजपा हाईकमान के समक्ष बीरेंद्र सिंह ने राज्यसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा देने की पेशकश की है। बृजेंद्र सिंह का यह पहला चुनाव होगा। एक शासक से राजनेता बनने में वे कितने कामयाब हो पाते हैं, यह सामने वाले योद्धाओं को शिकस्त देने की उनकी क्षमता पर निर्भर करेगा।
बिखराव का होगा चौटाला परिवार को नुकसान: हरियाणा की राजनीति में कभी भरपूर दखल रखने वाला चौटाला परिवार आज बिखराव का शिकार है। इनेलो की कोख से पैदा हुई जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) की बागडोर अजय सिंह चौटाला व हिसार के मौजूदा सांसद दुष्यंत चौटाला के पास है। इनेलो की बागडोर पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के छोटे बेटे अभय चौटाला संभाले हैं। जेजेपी और आप के गठबंधन में हिसार सीट जेजेपी के खाते में आ रही है।
जेजेपी को अभी कांग्रेस के घुड़सवार का इंतजार: जेजेपी यहां अजय चौटाला के बेटे दुष्यंत चौटाला को दोबारा चुनाव लड़ाने के हक में है, लेकिन उनकी विधायक मां नैना चौटाला अथवा भाई दिग्विजय चौटाला के भी चुनाव लड़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। जननायक जनता पार्टी को कांग्रेस के उम्मीदवार का इंतजार है। यदि कांग्रेस ने कुलदीप बिश्नोई को चुनाव मैदान में उतारा तो दुष्यंत चौटाला ताल ठोंक सकते हैं। यदि कांग्रेस ने कुलदीप के बेटे भव्य बिश्नोई को टिकट दी तो जेजेपी की ओर से दिग्विजय चौटाला अथवा उनकी मां नैना चौटाला भी चुनाव लड़ सकते हैं। दिग्विजय के सोनीपत से भी चुनाव लड़ने की अटकलें हैं।
बेटे की लांचिंग का मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहते कुलदीप: हिसार के रण में तीसरे बड़े योद्धा कांग्रेस के गैर जाट नेता कुलदीप बिश्नोई हैं। कांग्रेस हाईकमान उन्हें खुद चुनाव लड़ने के लिए कह रहा है, लेकिन विदेश में इलाज कराकर लौटे कुलदीप चाहते हैं कि वे अपने बेटे भव्य बिश्नोई को राजनीति में एंट्री दिलाएं। राहुल गांधी के बेहद करीबी कुलदीप के लिए बेटे भव्य की राह बनाना कोई मुश्किल काम नहीं है। साथ लगती भिवानी लोकसभा सीट पर कुलदीप बिश्नोई पूर्व में दुष्यंत चौटाला के पिता अजय सिंह चौटाला को पराजित कर चुके हैं।
पिता कुलदीप की हार का बदला लेना चाहते हैं भव्य: दुष्यंत ने हिसार में कुलदीप को हराकर अपने पिता की हार का बदला लिया था। अब भव्य बिश्नोई जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला या दिग्विजय चौटाला को हराकर अपने पिता कुलदीप की हार का बदला लेने का इरादा लेकर चुनावी समर में ताल ठोंकने को तैयार हैं। इनेलो ने अभी तक अपने उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है। चौटाला परिवार की आपसी फूट इस बार कांग्रेस और भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।
भजनलाल और देवीलाल परिवार के कब्जे में रही हिसार की सीट: हिसार लोकसभा के दायरे में 9 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में 11 लाख मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। 1951 से अब तक यहां पर 7 बार कांग्रेस को कामयाबी मिली है। एक तरह से इस सीट पिछले करीब 3 दशक से भजन लाल और देवी लाल के परिवार का कब्जा रहा है. पिछले तीन दशक में केवल 2004 में कांग्रेस के जय प्रकाश जेपी को यहां से जीत मिली थी। इस बार 15 लाख 80 हजार से अधित मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने को तैयार हैं।