साभार: जागरण समाचार
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रदेश के अनुसूचित जाति एवं बैकवर्ड वर्ग के विद्यार्थियों की परीक्षा फीस को लेकर सरकार एवं बोर्ड के बीच चल रहे विवाद को विराम दे दिया गया है। उन्होंने घोषणा की है कि भविष्य में बोर्ड
सरकार से यह फीस क्लेम नहीं करेगा। हालांकि मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट नहीं किया कि पिछले बकाया 106 करोड़ रुपये का क्या होगा। मगर बोर्ड चेयरमैन ने यह स्पष्ट किया है कि पिछले छह वर्षो से पें¨डग 106 करोड़ रुपये सरकार से लिए जाएंगे।
बता दें कि एससी व बीसी छात्रों की परीक्षा फीस प्रदेश सरकार ने माफ की हुई है। मगर बोर्ड यह फीस हरियाणा सरकार से लेता है। यह स्पष्ट कर दें कि बोर्ड की आमदनी का जरिया प्रमुख रूप से परीक्षा फीस ही होती है। इसी फीस में से परीक्षा में होने वाले तमाम खर्चे वहन करने होते हैं। यहीं वजह है कि शिक्षा बोर्ड यह फीस एससी व बीसी छात्रों की बजाए प्रदेश सरकार से वसूल करता है। मगर पिछले 6 वर्षो से प्रदेश सरकार द्वारा यह राशि बोर्ड को नहीं दी जा रही है। इस वजह से सरकार व शिक्षा बोर्ड के बीच लगातार विवाद चला आ रहा था।