Friday, October 19, 2018

सरकार नहीं कर रही अध्यापकों की कमी पूरी, लेकिन बंद कर दिए जाएंगे 62 प्राथमिक स्कूल

साभार: जागरण समाचार 
हरियाणा में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के तमाम प्रयासों के बावजूद चालू सत्र में 62 राजकीय प्राथमिक पाठशालाओं में एक भी बच्चे ने दाखिला नहीं लिया। थक-हारकर शिक्षा विभाग ने 53 स्कूलों को बंद करने का
फैसला कर लिया है, जबकि नौ स्कूलों को नजदीकी पाठशालाओं में मर्ज किया जाएगा। इन स्कूलों में तैनात 60 शिक्षकों को भी दूसरे स्कूलों में भेजने की कवायद शुरू हो गई है। सोनीपत में सबसे ज्यादा नौ और नूंह में छह प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं जहां किसी बच्चे ने दाखिला नहीं लिया। यमुनानगर, भिवानी, गुरुग्राम और हिसार में पांच-पांच, कैथल और रोहतक में चार-चार और अंबाला, रेवाड़ी व करनाल के तीन-तीन स्कूलों में कोई बच्चा नही हैं। कुरुक्षेत्र, महेंद्रगढ़, फतेहाबाद और जींद के दो-दो प्राथमिक विद्यालयों और झज्जर व पलवल की एक-एक पाठशालाओं में किसी बच्चे ने पढ़ने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। मौलिक शिक्षा निदेशक ने सभी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को लिखित आदेश जारी कर तत्काल प्रभाव से इन स्कूलों को बंद अथवा मर्ज कर क्रियान्वयन रिपोर्ट मांगी है। मर्ज किए स्कूलों में जिसकी बिल्डिंग या ग्राउंड की हालत अच्छी होगी, छात्रों को उसी स्कूल में शिफ्ट कर दिया जाएगा। 
शिक्षकों की कमी एक बड़ा कारण: प्रदेश में कुल 14,436 सरकारी स्कूल हैं जिनमें शिक्षकों के 1,18,351 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 20,675 पद खाली हैं। सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में 14,736 लेक्चर्स और हाई स्कूलों में 5939 पद मास्टरों के रिक्त हैं। करीब साढ़े तीन हजार स्कूल बगैर मुखिया के ही चल रहे हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में आधे से अधिक पद खाली हैं। इसके अलावा शिक्षकों से दूसरे कार्य लिए जाने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। इस कारण अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला नहीं दिलाते।
चार साल में 208 प्राथमिक स्कूल हो चुके बंद: पिछले चार वर्षो में पूरे प्रदेश में 208 सरकारी प्राथमिक स्कूल बंद कर दिए गए। इस दौरान केवल 19 सरकारी पाठशालाएं और चार वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल ही नए खुले। इसके विपरीत चार वर्षो में 974 नए मान्यता प्राप्त निजी स्कूल खुले। इनमें 483 प्राथमिक, 416 वरिष्ठ माध्यमिक और 75 मिडल स्कूल शामिल हैं। हालांकि इस दौरान उच्च और माध्यमिक शिक्षा को तवज्जो देते हुए 378 सरकारी स्कूलों का दर्जा बढ़ाया गया। इनमें 224 वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, 77 मिडल स्कूल और 77 प्राथमिक स्कूल शामिल हैं।