Tuesday, February 16, 2016

आत्म रक्षा के लिए पाकिस्तान सरकार ने थमाई शिक्षकों और विद्यार्थियों को बंदूकें

पाकिस्तान ने अब शिक्षकों के हाथों में भी बंदूकें थमा दी हैं। सोमवार को उत्तरी पश्चिमी कबायली इलाके की बाचा खान यूनिवर्सिटी के शिक्षकों को हथियारों के साथ आने की इजाजत दे दी गई। यहां 20 जनवरी को आतंकी हमला हुआ था जिसमें 21 लोग मारे गए थे। यूनिवर्सिटी हमले के 26 दिन बाद पहली बार सोमवार को
खुली। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर फैजल रहीम मारवात ने बताया कि कैंपस में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। शिक्षकों को लाइसेंसी हथियार ले जाने की इजाजत होगी। लेकिन उन्हें हथियार छिपाकर रखना होगा। वे कक्षाओं में इसका प्रदर्शन नहीं कर सकेंगे। छात्रों को हथियार लाने की अनुमति नहीं होगी। जो छात्र लेकर आएंगे, उन्हें परिसर के गेट पर जमा करना होगा। चार महिला शिक्षकों को जिम्मेदारी दी गई है कि वे छात्राओं पर नजर रखें कि वे हथियार लेकर आएं। यूनिवर्सिटी के भीतर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। दीवारों की ऊंचाई बढ़ा दी गई है। सुरक्षा गार्ड की संख्या 54 से बढ़ाकर 84 कर दी गई है। 30 और गार्ड तैनात किए जाएंगे। यूनिवर्सिटी के बाहर एक मोबाइल वैन तैयार रखी गई है। शिक्षकों को विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि भविष्य में कभी आतंकी हमला होने पर वे इसका मुकाबला कर सकें। 
कई संगठन और नागरिक शिक्षकों और छात्रों को हथियार रखने की छूट देने के विरोध में हैं। एक नागरिक अहीर बदर ने कहा, 'हमें पसंद नहीं कि हमारे बच्चे राइफल चलाएं। शिक्षकों और छात्रों के हाथ में कलम होनी चाहिए कि बंदूक।' 
वाइस चांसलर ने कहा कि अभी हमले का खतरा खत्म नहीं हुआ है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि डरकर पढ़ाई ही बंद कर दी जाए। छात्रों को सदमे से उबारने के लिए मनोवैज्ञानिक कक्षाएं होंगी। एमएससी के एक छात्र ने कहा, 'हम धमकियों से नहीं डरेंगे और पढ़ाई जारी रखेंगे।' 
पेशावर आर्मी स्कूल के शिक्षक भी हथियार रखते हैं। 2014 में यहां आतंकी हमले में 146 छात्र-शिक्षक मारे गए थे। तब यहां के शिक्षकों को यह अधिकार दिया गया। सरकार ने पिछले साल स्कूलों, काॅलेजों में सैनिक शिक्षा भी अनिवार्य कर दी थी। 
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साभार: भास्कर समाचार 
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