हरियाणा के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान पीजीआईएमएस में बड़ा खुलासा हुआ है। एक डॉक्टर ने पीजीआई में एक साथ दो विभागों में ज्वाइनिंग कर ली। न्यूरो सर्जरी विभाग में ज्वाइनिंग उसने अपने दोस्त के ऑफर लेटर पर ली तो आईसीयू में अपने लेटर पर। चार माह तक एक ही डॉक्टर पूरे पीजीआई प्रबंधन की आंखों में धूल झोकते हुए सैलरी भी लेता रहा। इसका खुलासा तब हुआ जब न्यूरो सर्जरी विभाग के सीनियर डॉक्टर ने
उसे आईसीयू के मरीज के साथ देख लिया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इस पर जांच बैठी और दाेनों ही डॉक्टरों से 3.91 लाख रुपए की रिकवरी करते हुए उन पर केस दर्ज करवाकर नौकरी से निकाल दिया गया है। साथ ही इनके मेडिकल लाइसेंस रद्द करने की भी सिफारिश की गई है। पीजीआई के इतिहास में पहली बार ऐसा मामला सामने आया है।
दोस्त को दे दिया ऑफर लेटर और हुई फर्जी ज्वाइनिंग: जींदके सेक्टर 11 निवासी अंकित यादव और भिवानी के तोशाम की गणेश डाई निवासी आशु ने एमबीबीएस करने के बाद पीजीआईएमएस में हाउस सर्जन की नौकरी के लिए आवेदन किया। संस्थान ने अपनी प्रक्रिया के तहत अंकित यादव को न्यूरो सर्जरी आशु को आईसीयू के लिए नियुक्ति पत्र जारी किया। इंटरव्यू में तो दोनों दोस्त अपनी-अपनी जगह गए। इसके बाद अंकित ने अपना कार्यभार संभालने की बजाय नियुक्ति पत्र आशु को दे दिया। दोनों दोस्त पीजीआई हॉस्टल में ही साथ-साथ रहते थे। आशु ने 1 जुलाई 2015 को आईसीयू में और अंकित के नाम पर 6 जुलाई को न्यूरो सर्जरी विभाग में कार्यभार संभाल लिया। ज्वाइनिंग के वक्त विभाग में किसी तरह की जांच नहीं होती। इस वजह से आसानी से यह फर्जीवाड़ा हो गया।
मार्निंग और ईवनिंग शिफ्ट में चलती रही धोखाधड़ी: डॉ.आशु ने एक विभाग में सुबह तो दूसरे में शाम की आठ-आठ घंटे की ड्यूटी लगवाई हुई थी। इस वजह से वह दोनों विभागों में हाजिरी लगा लेता था। वहीं, बताया जा रहा है कि वर्कलोड के चलते डॉक्टर जब 24 घंटे ड्यूटी करते हैं तो इसकी एवज में 2 दिन का अवकाश मिलता है। इन दो में से एक दिन दूसरे विभाग में लगाया जा सकता है। इसके अलावा हाजिरी का भी कोई पुख्ता सिस्टम नहीं है।
पीजी में प्रवेश की तैयारी कर रहा था अंकित: डॉक्टर्स हॉस्टल में ही रहकर अंकित पीजी कोर्स में प्रवेश की तैयारी कर रहा था। इसके कमरे के साथ वाले कमरे में आशु रहता था। पीजीआई प्रबंधन ने इनसे कमरे खाली करा लिए हैं।
संस्थान में दो हाउस सर्जन पकड़े गए हैं। ये गलत तरीके से काम करके संस्थान से धोखा कर रहे थे। इनसे 3.91 लाख रुपये की वसूली कर पुलिस को शिकायत दे दी गई है। -डॉ. राकेश कुमार गुप्ता, निदेशक, पीजीआईएमएस।
पीजीआई प्रबंधन से शिकायत मिली है। इस पर कार्रवाई की जा रही है। शिकायत में दो चिकित्सकों पर संस्थान के साथ धोखाधड़ी करने ड्यूटी में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया गया है। -राजकुमार,एसआई, जांच अधिकारी, पीजीआईएमएस थाना।
पंजीकरण मेडिकल लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश: पीजीआई प्रबंधन ने डॉ. अंकित और डॉ. आशु के फर्जीवाड़े की शिकायत हरियाणा मेडिकल काउंसिल और इंडियन मेडिकल काउंसिल से की है। इन्हें लिखे पत्र में दोनों के पंजीकरण मेडिकल लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश की गई है।
यह हुई रिकवरी: पीजीआई प्रबंधन ने दोनों से वेतन के नाम पर ठगे गए 3.51 लाख रुपये हॉस्टल कमरों का 20 हजार रुपये किराया वसूला। संस्थान ने इनकी 20 हजार रुपये की जमा सुरक्षा राशि भी जब्त कर ली।
डॉ. अाशु सितंबर माह में आईसीयू के मरीज के साथ एमआरआई कराने रेडियोलॉजी विभाग गया था। यहीं न्यूरो सर्जरी के हेड डॉ. ईश्वर सिंह मरीज की एमआरआई देखने आए थे। यहां हेड अपने हाउस सर्जन डॉ. आशु को देख चौक गए। इस पर शक के आधार पर जांच करवाई गई तो फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ।
पीजीआई में नौकरी पाना अब चिकित्सकों के लिए मुश्किल होगा। इसके लिए प्रबंधन साक्षात्कार प्रक्रिया सख्त करने जा रहा है। नए नियमों में साक्षात्कार देने वाले का फोटोयुक्त पहचान पत्र, नियुक्ति पत्र अन्य चीजें शामिल होने की संभावना है।
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साभार: भास्कर समाचार
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