Thursday, December 10, 2015

दुनिया भर में बैन ये सात चीजें भारत में बिक रहीं धड़ल्ले से

यह खबर आपके लिए चौंकाने वाली तो होगी हीसाथ ही सोचने को भी मजबूर कर देगी कि क्या भारत के कानून इतने कमजोर हैं कि अपने नागरिकों की भी पूरी सुरक्षा न कर पाएंदरअसल, दुनियाभर में बैन चीजें भारत में बेची जा रही हैं। दुनियाभर में बैन चीजें होने का कारण भी कुछ और नहींसिर्फ एक ही है कि वे उन देशों के नागरिकों के लिए सुरक्षित नहीं हैंजहां उन्हें बैन किया गया है। बात चाहे विक्स जैसी सामान्य सी दिखने वाली जुकाम की दवा हो या
खूब विज्ञापन देकर भारत की युवा पीढी को लत डालने वाले एनर्जी ड्रिंक रेडबुल की। या फिर आप उन दवाओं को ले लेंजो अन्य देशों में सीधे तौर पर नशे का साधन मानी गई हैं,लेकिन भारत में तो सरेआम बेची जा रही हैं। सिर्फ खबर ने ऐसी ही दुनियाभर में बैन चीजें खोजीं, सात ऐसी ही चीजें आपके लिए लेकर आए हैंजो दुनियाभर में बैन हैंलेकिन भारत में खुलेआम बेची जा रही हैं। आप भी जानिए: 
Red Bull एनर्जी ड्रिंक: रेडबुल के विज्ञापन तो याद ही होंगे आपकोयह एकमात्र ऐसा ब्रांड हैजिसके विज्ञापन में किसी हीरोहिरोइन या अन्य सेलेब्रिटी कभी नजर नहीं आएंगे। इसके विज्ञापनों में सिर्फ कार्टून या क्लिपआर्ट ही नजर आते हैं। आधे से अधिक लोगों को इसके विज्ञापन से यही समझ में नहीं आता कि रेडबुल है क्यायह दरअसल ऐसा एनर्जी ड्रिंक हैजिसमें कई रसायन पाए जाते हैं। सबसे विवादास्पद रसायन टॉरिन हैजिसके कारण अनेक देशों ने रेडबुल को पूरी तरह बैन किया हुआ हैलेकिन भारत में यह न सिर्फ खुलेआम बिकता हैविज्ञापन भी देता है।
क्यों है प्रतिबंधितरेडबुल में पाया जाने वाला टॉरिन खतरनाक रसायन माना जाता है। एक बॉडी बिल्डर ने एक दिन में 14 ग्राम टॉरिन ले लिया थाजिसके कारण उसका दिमाग डैमेज हो गया था। इसी तरह एक अन्य केस में चार दिन तक एनर्जी ड्रिंक पीने वाले एक युवक को इतना साइड इफेक्ट हुआ कि उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इसे बच्चोंगर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों के लिए पूरी तरह असुरक्षित माना जाता है। इन सब कारणों को देखते हुए रेडबुल को रूसफ्रांस सहित कई देशों ने पूरी तरह बैन कर रखा है।
ये दवाएं हैं या जहर: भारत में दवाओं के नाम पर अनेक ऐसे साल्ट बेचे जाते हैं जो दुनियाभर में प्रतिबंधित हैं। नाम सुनेंगे तो आप चौंक उठेंगे। जी हांनावलजीन (Novalgin), डी कोल्ड (D-Cold), विक्स एक्शन-500 (Vicks Action-500), बिना किसी सलाह के भारत के लोग जिसे दर्दनिवारक के तौर पर खाते हैं वह निमेस्लाइड (Nimesulid), डायरिया के उपचार के लिए उपयोग में आने वाली तीन दवाएं – एंट्रोक्यूइनलफ्यूरोक्सॉन और लोमोफेन (Enteroquinal, Furoxone and Lomofen),काफी लोकप्रिय पेनमिकलर निमुलिड और एनालजीन (Nimulid, Analgin), एसीडिटी में उपयोग होने वाली सीजा (Ciza) कब्ज के उपचार के लिए ली जाने वाली सिस्प्राइड (Syspride) आदि को दुनियाभर में प्रतिबंधित किया हुआ हैलेकिन भारत में धड़ल्ले से बेची जा रही हैं। इन सबमें ऐसे खतरनाक कैमिकल होते हैं जो आपकी एक बीमारी भले ठीक कर देंलेकिन शरीर पर इनके साइड इफेक्ट इतने हैं कि पता चलने पर कोई भूलकर भी ये दवाएं न खाए।
क्यों हैं प्रतिबंधितइनमें से कुछ दवाएं सीधे लीवरहार्ट और ब्रेन को भारी नुकसान पहुंचाने वाली हैं तो कुछ में ऐसे तत्व पाए जाते हैं कि आदमी को उनकी लत लग सकती है। निमुस्लाइड पर तो हाल ही में भारत में भी सवाल उठे थे और कम से कम बच्चों के लिए इसे पूरी तरह प्रतिबंधित करने की मांग उठी थी। इनके साइड इफैक्ट देखते हुए ही इनको अनेक देशों में पूरी तरह बैन किया हुआ है।
आपका बच्चा भी किंडरगार्डन खाता हैकिंडरगार्डन को लेकन विज्ञापनों में भले किसी भी तरह के बड़ेबड़े दावे किए जाते होंलेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि किंडर एग्स को अमेरिका में बैन किया हुआ है। वहां किंडर एग्स न बनाए जा सकते हैं और न बेचे जा सकते हैं। इससे भी बड़ी बात यह है कि चॉकलेट वाले किंडर एग्स यदि आप चोरीछिपे अमेरिका ले जाते हैं तो यह गैरकानूनी है और एक भी किंडर एग मिलने पर आप पर ढाई हजार डॉलर तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
क्यों है प्रतिबंधितअमेरिका अपने लोगों की सेहत को बहुत फिक्रमंद रहता है। वहां खाने की हर वह चीज हैजिसमें किसी तरह की न खाने वाली चीज हो। किंडरगार्डन एग्स के अंदर चॉकलेट में छोटेछोटे खिलौने छिपे होते हैं। यूएस की फूड एजेंसी एफडीए का मानना है कि कोई भी बच्चा किंडर के खिलौने निगल सकता हैजो उसकी जान के लिए खतरा बन सकते हैं। लेकिन भारत में इसकी परवाह किसे है?
हर फसल में मिलाया जाता है जहर: भारत में फसलों पर 67 ऐसे खतरनाक जहर यानी पेस्टीसाइड्स डाले जाते हैं जो अंतरराष्ट्रीय बाजार में पूरी तरह प्रतिबंधित हैं। इसका सबसे मुख्य कारण है कि इन जहरीले पदार्थों का बड़ा हिस्सा उस फसल में मिल जाता है और मानव शरीर में पहुंचकर सीधे नुकसान पहुंचाता है।कार्बाराइलमेलाथिअॉनएसेफेटक्लोरोपायरिफोर्सलिनडेनक्विनालफोसफास्फामिडोन,कार्बनडिज्मकाप्टानट्रीडामोर्फग्लाईफॉसेट आदि। ये भारत में न सिर्फ कपास जैसी व्यावसायिक फसलों पर छिड़के जाते हैंकई तो गेहूंचावलसब्जियों और फलों पर सीधे डाले जाते हैं।
क्यों हैं प्रतिबंधित: ये सभी कीटनाशक सीधे तौर पर जहर हैं और न सिर्फ पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाते हैं,फसलों पर डाले जाने के बाद फसलों में भी इनका पूरा असर रहता है। जैसे ही उन फसलों को किसी भी रूप में इंसान या जानवर ग्रहण करते हैंउनके शरीर में भी यह जहर पहुंच जाता है। उसी के कारण कैंसर से लेकर दिल और दिमाग की बीमारियां दिनदिन तेजी से बढ़ रही हैं।
आप भी विक्स लगाते हैं: विक्स वेपोरब – विज्ञापन के अनुसार सर्दी से तुरंत छुटकारा पाने का उपाय। भारत में मध्यम वर्ग का तो शायद ही कोई घर होजिसमें विक्स वेपोरब न मिलता हो। सर्दी की शुरुआत हुई नहीं कि इसकी बिक्री में भारी बढ़ोतरी हो जाती है। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि विक्स वेपोरब को यूरोप और उत्तरी अमेरिका के कई देशों में पूरी तरह बैन किया हुआ है। दरअसल,यूरोप में विक्स वेपोरब को लेकर कई तरह के शोध हुए हैं। उनमें यह निष्कर्ष निकला कि विक्स वेपोरब में पाए जाने वाले कुछ कैमिकल सांस के साथ शरीर के अंदर जाकर भारी नुकसान पहुंचाते हैं। इसी कारण इसे वहां प्रतिबंधित कर दिया गया है।
जैली: जैली की बनी कैंडी भला किसे पसंद नहीं होतीलेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि जैली पर किए गए शोध में ऐसे तत्व पाए गए हैं जो मोटापे को बढ़ावा देते हैं। इसी कारण यूरोपियन यूनियन के सदस्य देशों के साथसाथ अमेरिका में भी न सिर्फ जैली की कैंडी बनाना और बेचना प्रतिबंधित हैबल्कि इनको इम्पोर्ट करना भी पूरी तरह गैरकानूनी है। इसके पीछे दो कारण हैं। पहला कारण तो मोटापे को बढ़ावा देने वाले तत्वों का जैली कैंडी में होना है और दूसरा कारण है कि जैसी गले में फंसकर बच्चे का गला रोक सकती है। यदि अकेला बच्चा इसे खा रहा हो तो इसका खतरा और बढ़ जाता है। आमतौर पर यह खतरा पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए माना जाता है। लेकिन भारत में मानो ऐसी बातों से कोई फर्क ही नहीं पड़ता।
सबकी प्यारी मारूति-800 और सबसे सस्ती टाटा नैनो: सूची का आखिरी नाम आपको चौंकाने के लिए काफी है। जी हांभारत में सर्वाधिक लोकप्रिय और सदाबहार कार मानी जाने वाली मारूति-800 को यूरोप के सब देशों में प्रतिबंध का सामना करना पड़ रहा है। भले ये कारें भारत में सर्वाधिक बिकने के रिकॉर्ड बना चुकी होंलेकिन यह विदेशों के सुरक्षा पैमाने पर खरी नहीं उतर पाईं। ग्लोबल एनसीपीए के सुरक्षा मानकों पर खरा न उतर पाने के कारण भारत में बनने वाली तीन प्रमुख कारों मारूति-800, टाटा नैनो और ह्यूंडई i10को विदेशों में न बेचा सकता है और न चलाया जा सकता है। यदि इनको अनुमति मिल जाती तो शायद मात्र 2000 डॉलर की कीमत वाली टाटा नैनो दुनिया की सबसे सस्ती के साथसाथ सबसे अधिक बिकने वाली कार भी बन जाती।
क्या है ग्लोबल एनसीपीए का पैमाना: किसी भी कार को यूरोपियन देशों में सड़क पर उतरने से पहले सुरक्षा टेस्ट से गुजरना पड़ता है। इस टेस्ट के दौरान कार को अलगअलग दिशा से क्रैश करके यानी टकराकर देखा जाता है। ये टेस्ट खतरनाक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर किए जाते हैं। इसमें देखा जाता है कि यदि कार का एक्सीडेंट होता है तो उसमें बैठने वाले लोग सुरक्षित रह पाएंगे या नहीं। यदि नहीं तो उन्हें कितनी और किस तरह की चोट आने की आशंका है।
क्यों पास नहीं कर पाई टेस्ट: मारूति-800, टाटा नैनो और ह्यूंडई i10 को सस्ता बनाने के चक्कर में कंपनियां सुरक्षा की बजाय सिर्फ कीमत कम रखने पर ध्यान देती हैं। जब एनसीपीए ने क्रैश टेस्ट किए तो ये कारें एक भी टक्कर नहीं पाईं और चकनाचूर हो गईं। एनसीपीए ने रिपोर्ट बनाई कि अत्यंत कमजोर ढांचे पर बनी ये कारें छोटे से हादसे में ही किसी की भी जान ले सकती हैं। इसी कारण इन्हें वहां प्रतिबंधित कर दिया गया। लेकिन कोई मरता है तो मरेभारत सरकार को क्या लेना!
भारत में क्यों नहीं होते बैन: इनमें से अधिकतर के भारत में बैन न होने का बड़ा कारण है भ्रष्टाचार और कमजोर कानून। भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा उदाहरण ये हो सकता है कि दुनियाभर में प्रतिबंधित पेस्टिसाइड्स के उपयोग की जांच के लिए भारत में भी समिति तो बनाई गईलेकिन उसने भी कुछ पर ही प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की। अरबों रुपए के बजट वाली कंपनियों के खतरनाक जहर आज भी खुलेआम बिक रहे हैं। इसी तरह दवाओं की बात की जाए तो उन पर इस कारण से बैन नहीं लगाया जा रहा क्योंकि उनको लेकर कोई सख्त कानून ही नहीं है भारत में।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: सिर्फखबर  
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.