Friday, December 11, 2015

भ्रष्टाचार है 'राष्ट्रीय आर्थिक आतंकवाद' - सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीमकोर्ट ने गुरुवार को भ्रष्टाचार को 'राष्ट्रीय आर्थिक आतंकवाद' करार दिया है। कोर्ट ने कहा, 'सरकारें इस सामाजिक आपदा को नियंत्रित करने के लिए विशेष कानून ला सकती है। यह आपदा संवैधानिक शासन और निर्वाचित लोकतंत्र के बुनियादी तत्व को खा रही है।' कोर्ट ने बिहार और ओडिशा विधानसभाओं से पारित कानूनों को मंजूरी दे दी। इसमें भ्रष्ट सरकारी कर्मचारियों की भ्रष्टाचार के पैसे से अर्जित संपत्ति को जब्त
करने का अधिकार जांच एजेंसी को दिया है। वह भी दोषी ठहराने के पहले। यह कानून उच्चस्तरीय राजनीतिक या सार्वजनिक दफ्तरों को लेकर है। जस्टिस दीपक मिश्र और प्रफुल्ल सी. पंत की बेंच ने यह फैसला सुनाया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। बेंच ने कहा, 'हम यह समझने में नाकाम है कि अपीलकर्ताओं को इस पर आपत्ति क्यों है कि हाईपब्लिक या पॉलीटिकल ऑफिस की परिभाषा तय नहीं की गई है। इससे प्रावधान अवैध हो जाता है। हमारी समझ में इसमें कोई उलझन नहीं है।' पहले के फैसलों का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा, 'भ्रष्ट तरीके से कमाई संपत्ति की वजह से ईमानदारी में विश्वास करने वाले लोगों की ऊर्जा नष्ट होती है। किसी भी तरह के भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस होना चाहिए।' 
केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को कहा, 'आरटीओ (रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस) देश में सबसे भ्रष्ट संस्था हैं। लूट के मामले में उन्होंने चंबल के डाकुओं को भी पीछे छोड़ दिया है।' आरटीओ में बड़े स्तर पर होने वाले भ्रष्टाचार पर बरसते हुए गडकरी ने नए मोटर कानून के लागू होने में हो रही देरी पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, 'रोड ट्रांसपोर्ट और सेफ्टी बिल लागू होने के बाद पूरे क्षेत्र में सुधार आएगा। मुझे यह कहते हुए दर्द हो रहा है कि आरटीओ के अधिकारी राज्य के मंत्रियों को विधेयक का विरोध करने के लिए उकसा रहे हैं। उन्हें बरगला रहे हैं कि केंद्र राज्यों के अधिकारों में हस्तक्षेप कर रहा है। आरटीओ की कार्यप्रणाली से मुझे गुनहगार होने का अनुभव हो रहा है। भारत में कहीं भी ड्राइविंग लाइसेंस आसानी से हासिल नहीं किया जा सकता। करीब 30 प्रतिशत लाइसेंस बोगस है। कानून पारित होने से क्षेत्र में सुधार आएगा। इलेक्ट्रॉनिक ड्राइविंग लाइसेंस, ऑनलाइन परमिट और अन्य सुधार लागू हो जाएंगे।' 
कोर्ट ने एक दिसंबर 2016 तक डेडलाइन तय की: सुप्रीमकोर्ट ने बच्चों की तस्करी पर अंकुश लगाने के इरादे से केंद्र सरकार को संगठित अपराध जांच एजेंसी (आेसीआईए) गठित करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सरकार को एक साल की माेहलत देते हुए इसके लिए एक दिसंबर, 2016 की डेडलाइन तय की है। जस्टिस एआर दवे की अध्यक्षता वाली बेंच ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को यह आदेश जारी किया। बेंच ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से भी कहा कि तस्करी के शिकार पीड़ितों के बचाव, पुनर्वास और रोकथाम जैसे विषयों पर कानून बनाए। इसकी विचार-विमर्श की प्रक्रिया छह महीने के भीतर पूरी की जाए। मंत्रालय ने 16 नवंबर को अपने सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है। मंत्रालय ने इससे पहले मानव तस्करी के बारे में विस्तृत कानून की हिमायत की थी। गृह मंत्रालय ने भी ऐसे मामलों की जांच के लिए ओसीआईए गठित करने की इच्छा व्यक्त की थी, क्योंकि ये अंतरराज्यीय अपराध है। 
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साभारभास्कर समाचार 
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