स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज और महिला आइपीएस अधिकारी संगीता कालिया के मुद्दे पर हो रही राजनीति के बीच मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सदन के भीतर गरम तेवर जाहिर कर दिए। उन्होंने विपक्ष को न केवल इस मामले का जातीयकरण नहीं करने की नसीहत दी, वहीं दो टूक कह दिया कि अफसरों को अपनी वर्किग में सुधार
करना ही होगा। इस मुद्दे हंगामे के बीच मुख्यमंत्री ने करीब दस मिनट तक सदन में ब्यूरोक्रेसी के प्रति सरकार का रुख जाहिर कर दिया।
चेयर का सम्मान तो करना ही पड़ेगा: मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि आइएएस और आइपीएस बड़ा पद होता है। इनको किसी वर्ग, जाति या लिंग से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। ऐसा करने से लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं छिन्न-भिन्न होने का खतरा बढ़ जाएगा। मुख्यमंत्री ने सदन में कहा कि उन्होंने भी पूरे प्रकरण की वीडियो क्लीपिंग देखी है। गलत कौन है, यह तो बहस का विषय हो सकता है, लेकिन अफसर को मीटिंग की अध्यक्षता कर रहे मंत्री के आदेश हर हाल में मानने होंगे। आइपीएस ने जब मंत्री के आदेश पर गौर नहीं किया तो हमारे मंत्री ने शालीनता में खुद ही मीटिंग से आना बेहतर समझा। मंत्री समूह के सदस्य हों या अफसर, वे एग्जीक्यूटिव का हिस्सा होते हैं और उन्हें चेयर की बात तो माननी ही पड़ेगी।
तो क्या मंत्री जी नशा बिकवाने देते: भाजपा अध्यक्ष एवं विधायक सुभाष बराला ने सदन में सवाल उछाला कि ग्रीवेंसिज कमेटी फतेहाबाद की बैठक में जब मंत्री के सामने अवैध नशे और ड्रग्स की बिक्री का मामला आया तो क्या वह चुप बैठे रहते। उनका बोलना और कार्रवाई करना जायज है।
सैलजा के मुद्दे पर चुप क्यों रहे कांग्रेसी: राज्य मंत्री कृष्ण कुमार बेदी ने कांग्रेसियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री सैलजा के दलित उत्पीड़न के मुद्दे पर जब कांग्रेसी चुप रहते थे, तब वह कहां थे।
सैलजा के मुद्दे पर चुप क्यों रहे कांग्रेसी: राज्य मंत्री कृष्ण कुमार बेदी ने कांग्रेसियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री सैलजा के दलित उत्पीड़न के मुद्दे पर जब कांग्रेसी चुप रहते थे, तब वह कहां थे।
विज बोले, कांग्रेसियों ने वह देखा जो इन्हें माफिया ने दिखाया: स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने सदन में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वह सभी विधायकों के सवालों का एक-एक कर जवाब देने को तैयार हैं। कांग्रेसियों ने वीडियो क्लीपिंग में सिर्फ वही देखा, जो उन्हें ड्रग्स माफिया ने दिखाया। ग्रीवेंसिज कमेटी की बैठक के एजेंडे में आइटम नंबर दस पर अवैध नशे के धंधे की शिकायत दर्ज थी। शिकायतकर्ता एनजीओ के सदस्यों को एसपी ने उनके सामने ही धमकाया। वह उन पर टूट पड़ी, जिस बात को छिपाया जा रहा है। मैं एसपी को मीटिंग से बाहर भेजकर शिकायकर्ताओं की बात अकेले में सुनना चाहता था, मगर वे नहीं गई तो मैं ही मीटिंग से बाहर आ गया।
सपना सीएम का और एसपी के सामने से लौट आए: कांग्रेस के कर्ण सिंह दलाल ने सदन में चुटकी ली कि विज मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे और एसपी के सामने मैदान छोड़कर भाग आए। इस पर विज ने टिप्पणी की कि दलाल में कितनी ताकत है, वे सब जानते हैं।
वीडियो क्लीपिंग सदन में चलने की आई नौबत: स्वास्थ्य मंत्री विज ने कहा कि वे पूरे विवाद की क्लीपिंग सदन में सुनाना चाहते हैं, जिस पर कांग्रेस के कर्ण सिंह दलाल ने कहा कि टीवी स्क्रीन पर इसे दिखाया जाना चाहिए। मगर यह बात बीच में ही लटक गई।
जेपी ने जींद का किस्सा सुनाकर ब्यूरोक्रेसी को लताड़ा: आजाद विधायक एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश जेपी ने सदन में ऐसे मामलों पर चर्चा को अनुचित बताया। उन्होंने कहा कि ब्यूरोक्रेसी वास्तव में बेलगाम है। उसे जाति या वर्ग में नहीं बांटना चाहिए। ब्यूरोक्रेसी पर लगाम बेहद जरूरी है। उन्होंने उदाहरण दिया कि जींद के एसपी ने तत्कालीन शिक्षा मंत्री मांगे राम गुप्ता के मामले में कुछ गलत बयानबाजी कर दी थी। तब सदन में यह मामला उठा था और अफसर को माफी मांगनी पड़ी थी।
मंत्री बोले मेरी चिंता तो एनजीओ को लेकर थी: स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने सदन में जानकारी दी कि एनजीओ की सुरक्षा के लिए उन्होंने डीजीपी को पत्र तक लिखा है। विज ने कहा कि उनकी चिंता एनजीओ की सुरक्षा को लेकर थी।
और जब कालिया पर फंस गया पेंच: मंत्री विज ने जब सदन में कहा कि उन्हें नहीं पता था कि कालिया कौन होते हैं। पहले मैं कालिया को ब्राह्मण समझता था। इस पर इनेलो के जसविंद्र संधू ने कहा कि अगर यही बात है तो इससे उनकी ब्राह्मणों के प्रति सोच का पता चलता है। संधू के इतना कहने पर सदन ठहाकों से गूंज पड़ा।
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साभार: जागरण समाचार
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