Wednesday, December 23, 2015

किशोर न्याय विधेयक पारित, अब 16 से 18 साल के जघन्य अपराधियों को भी कठोर दंड

हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों में लिप्त 16 साल से अधिक उम्र के किशोरों को कठोर दंड देने का रास्ता साफ हो गया है। इससे संबंधित किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) विधेयक-2015 को राज्यसभा ने मंगलवार को पारित कर दिया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। इस विधेयक को प्रवर समिति के सिपुर्द करने की वाम व कुछ अन्य दलों की मांग को सदन ने खारिज कर दिया। यह पोस्ट
आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सदन में चर्चा का जवाब देते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि विधेयक का मकसद बच्चों को जघन्य अपराध करने से रोकना है। आंकड़ों के अनुसार 16 साल से अधिक उम्र के बच्चों द्वारा निर्मम अपराध करने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। विधेयक को प्रवर समिति के सिपुर्द न करने के खिलाफ सीताराम येचुरी के नेतृत्व में वामदलों, राकांपा और द्रमुक सदस्यों ने वाकआउट किया। दूसरी तरफ कांग्रेस और तृणमूल समेत अनेक दलों ने विधेयक का समर्थन किया और इसे पारित करने में और विलंब नहीं करने की वकालत की। विधेयक के दुरुपयोग के बारे में सांसदों की चिंताओं को खारिज करते हुए मेनका ने कहा कि 16 साल के जघन्य अपराधियों को सीधे जेल नहीं भेजा जाएगा। पहले किशोर न्याय बोर्ड जांच करेगा और देखेगा कि मामले की परिस्थितियां क्या थीं। बच्चे से मासूमियत में अपराध हुआ या उसकी नीयत बालिगों जैसी थी। बोर्ड में विशेषज्ञ शामिल होंगे। जेल भेजे जाने के बाद भी बच्चे को अपील का अधिकार होगा। जब तक वह 21 साल का नहीं हो जाता तब तक सुधार गृह में रहेगा। उसे पक्के अपराधियों के साथ नहीं रखा जाएगा। 21 के बाद बाद केस पर नए सिरे से विचार होगा। 16 साल से अधिक उम्र के जघन्य अपराधियों को कड़ा दंड देने के लिए कानून में संशोधन की मांग 16 दिसंबर, 2012 के चर्चित सामूहिक दुष्कर्म कांड के बाद उठी थी। इसमें नाबालिग समेत कई युवकों ने 23 वर्षीय लड़की की चलती बस में दुष्कर्म के बाद निर्मम हत्या कर दी थी। जघन्य कांड को लेकर देशभर में गुस्सा फूट पड़ा था। मामले में शामिल किशोर तीन साल की सजा के बाद रविवार को ही रिहा होने के बाद सुधार गृह में भेजा गया है। लड़की के मांग-बाप ने इस पर गहरी निराशा जताते हुए कानून में संशोधन की मांग की थी। हालांकि नया कानून बनने के बावजूद इसे पूर्व प्रभाव से लागू नहीं किया जा सकेगा।
विधेयक बच्चों के विरुद्ध नहीं, बल्कि उनकी सुरक्षा, संरक्षण और संस्कार के लिए है। इसका मकसद किशोरों को जघन्य अपराध करने से रोकना है। कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए इस बिल में अनेक प्रावधान किए गए हैं। - मेनका गांधी, केंद्रीय मंत्री 
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साभारजागरण समाचार 
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