Friday, April 19, 2019

हरियाणा में लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी कांग्रेस, जानें क्‍यों नहीं बन सका महागठबंधन

साभार: जागरण समाचार 
देशभर में भाजपा को रोकने में जुटी कांग्रेस हरियाणा में महागठबंधन से पीछे हट गई। प्रदेश की सभी लोकसभा सीटों पर वह अकेले चुनाव लड़ेगी। जननायक जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी अब मिलकर क्रमश: सात
और तीन सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। तीनों दलों की राजनीतिक मजबूरी और नेताओं की जिद के चलते भाजपा के खिलाफ मोर्चा बंदी की कोशिश सिरे नहीं चढ़ सकी।
हरियाणा में लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी कांग्रेस, जानें क्‍यों नहीं बन सका महागठबंधनराजनीतिक मजबूरी और जिद बनी बाधा, तंवर और सुरजेवाला नहीं थे तैयार: जेजेपी के नई दिल्ली स्थित 18 जनपथ पर मुख्यायल में आप और जेजेपी नेताओं ने साफ कर दिया कि अब कांग्रेस से कोई समझौता नहीं होगा। आप के हरियाणा प्रभारी गोपाल राय ने बताया कि उनकी पार्टी का अब दिल्ली में भी कांग्रेस से कोई गठबंधन नहीं होगा। महागठबंधन नहीं होने के पीछे आम आदमी पार्टी की जिद और कांग्रेस नेताओं की मजबूरी भी रही।
आप के नेता चाहते थे कि कांग्रेस के साथ गठबंधन दिल्ली के साथ हरियाणा और पंजाब तक में हो मगर कांग्रेस जानती थी कि पंजाब में उसकी स्थिति बेहतर और हरियाणा में भी अच्छी है। ऐसे में गठबंधन करके पार्टी का भविष्य गर्त में नहीं डालना चाहिए। कांग्रेस दिल्ली में आप से गठबंधन करने को तैयार थी।
आप नेता एक बार पंजाब में समझौता नहीं करने को मान गए थे मगर उन्होंने हरियाणा में कांग्रेस-जजपा-आप महागठबंधन के लिए 6-3-1 सीट का प्रस्ताव दिया। इसे  कांग्रेस ने नामंजूर कर दिया। बताया जा रहा है कि कांग्रेस नेता खासतौर पर रणदीप सुरजेवाला और प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर जजपा से समझौता करने के पक्ष में नहीं थे।
हुड्डा को भा रहा था महागठबंधन: मंगलवार रात्रि गुलाम नबी आजाद और संजय सिंह की मुलाकात में महागठबंधन की रूपरेखा तैयार हो गई थी। तब सीटों का बंटवारा कांग्रेस को सात, जजपा को दो और आम आदमी पार्टी को एक सीट के लिए हुआ था। इसके बाद ही आजाद ने बुधवार सुबह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को दिल्ली मुख्यालय बुला लिया था। दोनों की बुधवार सुबह दो घंटे लंबी मुलाकात हुई। इसके बाद हुड्डा और आप से राज्यसभा सदस्य सुशील गुप्ता की मुलाकात हुई। 
दोनों बैठकों का सार यह था कि हुड्डा महागठबंधन पर राजी हो गए। असल में इस महागठबंधन से हुड्डा को अपने गृहक्षेत्र रोहतक और सोनीपत में भी भाजपा के खिलाफ फायदा मिल रहा था। मगर हुड्डा की हां के बावजूद महागठबंधन के ताने-बाने को अशोक तंवर और सुरजेवाला की जोड़ी ने तार-तार कर दिया। इन नेताओं का कहना था कि आप और जजपा से समझौता करके भविष्य में पार्टी को बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।
हुड्डा की हां की बाबत आप नेता सुशील गुप्ता तो यहां तक कह रहे हैं कि वह (भूपेंद्र हुड्डा) अपने दल में असहाय हो गए हैं। हरियाणा में कांग्रेस राहुल गांधी की नहीं बल्कि क्षत्रप की है। सोनीपत-रोहतक में हुड्डा कांग्रेस, सिरसा-अंबाला में तंवर-सैलजा कांग्रेस, भिवानी-महेंद्रगढ़ में किरण कांग्रेस, हिसार में कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस और जींद-कैथल में सुरजेवाला कांग्रेस है।
  • जिसे चौधरी देवीलाल ने त्यागा, उसे हम कैसे अपनाते: 1971 में कांग्रेस को चौधरी देवीलाल ने त्यागा था। ऐसी पार्टी को हम किसी भी सूरत में अपनाने को तैयार नहीं थे मगर हमारे गठबंधन के साथी दल आप के नेताओं ने देश व समाज की सुरक्षा के नाम पर कांग्रेस से बातचीत की थी। आप और जजपा गठबंधन हरियाणा में भाजपा को 10 की 10 सीट पर चुनौती देने में सक्षम है। - दुष्यंत चौटाला, नेता, जेजेपी।
  • देश व समाज बचाने के लिए बनाना चाहते थे महागठबंधन: कांग्रेस से हमारी विचारधारा नहीं मिलती है लेकिन देश और समाज को बचाने के लिए हमने कई बार अपनी तरफ से महागठबंधन की कोशिश की। जब कांग्रेस को देश की परवाह ही नहीं है तो हम क्या करें। गठबंधन के सामने भाजपा कहीं भी नहीं ठहर रही है। मगर कांग्रेस उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल सहित केरल में भाजपा विरोधी गठबंधन को कमजोर कर रही है। -नवीन जयहिंद, प्रदेश संयोजक, आप।
  • खुद राहुल गांधी ही मोदीजी को पीएम बनवाने पर तुले हैं तो हम क्या करें: दो दिन पहले गुलाम नबी आजाद और संजय सिंह के सामने 6-3-1 के महागठबंधन का प्रस्ताव रखा गया। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा से इस प्रस्ताव पर चर्चा हुई। हरियाणा में छह सीट कांग्रेस, तीन जजपा और एक आप को दिए जाने का प्रस्ताव राजनीतिक दृष्टि से कोई गलत नहीं ठहरा सकता, लेकिन जब खुद राहुल गांधी ही मोदीजी को जिताना और प्रधानमंत्री बनाने पर तुले हैं तो हम क्या करें। - गोपाल राय, दिल्ली सरकार में मंत्री एवं हरियाणा प्रभारी, आप।