साभार: जागरण समाचार
किलोमीटर स्कीम के विरोध में पांच दिन से चल रही रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल प्रदेश सरकार के लिए गले की फांस बनती दिख रही है। सियासी रंग लेती जा
रही हड़ताल में जहां कांग्रेस-इनेलो सहित दूसरी राजनीतिक पार्टियां कूद पड़ी हैं, वहीं विभिन्न महकमों के हजारों कच्चे-पक्के कर्मचारी खुलकर रोडवेज कर्मचारियों के समर्थन में आ गए हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हड़ताली कर्मचारियों को रविवार को चंडीगढ़ में परिवहन सचिव व महानिदेशक के साथ वार्ता का न्योता दिया है, लेकिन रोडवेज तालमेल कमेटी ने साफ कर दिया कि वार्ता केवल सीएम के साथ होगी। सरकार कमेटी को वार्ता का लिखित निमंत्रण भेजे। तभी वह वार्ता की टेबल पर बैठेंगे।
शनिवार को सरकारी स्कूलों में बड़ी संख्या में शिक्षकों ने काले बिल्ले लगाए। रविवार को मजदूर संगठन सीटू व सर्व कर्मचारी संघ की अगुवाई में विभिन्न महकमों के कर्मचारी मंत्रियों एवं विधायकों के आवासों का घेराव कर प्रदर्शन करेंगे। सारा दिन परिवहन विभाग के अफसर और रोडवेज कर्मचारी तालमेल कमेटी के पदाधिकारी अलग-अलग रणनीति बनाते रहे। हड़ताल के पांचवे दिन स्कूल-कॉलेज खुलने से निजी शिक्षण संस्थानों की 300 बसें ही यात्रियों के लिए उपलब्ध हो पाईं। एक रोज पहले शिक्षण संस्थाओं की 463 बसें सड़कों पर उतरी थी। हालांकि दूसरे महकमे के चालकों की मदद से रोडवेज की करीब 700 बसें छोटे रूटों पर चलाई गईं, लेकिन इससे लोगों को कोई ज्यादा राहत नहीं मिल सकी। रोडवेज कर्मचारी तालमेल कमेटी ने 22 अक्टूबर तक बसों का चक्का जाम जारी रखने का एलान कर रखा है।
मुख्यमंत्री ने दी आमजन की परेशानियों की दुहाई: मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हड़ताली कर्मचारियों से अपील की कि वे आमजन की कठिनाई व त्योहार के सीजन को देखते हुए जल्द काम पर लौट आएं। यूनियन पदाधिकारी रविवार दोपहर बारह बजे महानिदेशक कार्यालय में अफसरों के साथ वार्तालाप के लिए आएं। उनकी सभी जायज मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक कार्रवाई की जाएगी।