एन रघुरामन (मैनेजमेंट फंडा)
स्टोरी 1: नंदनशाह अपने कमरे में किसी को भी प्रवेश की इजाजत नहीं देते, क्योंकि वे ऐसे व्यक्ति हैं, जो हमेशा टेक्नोलॉजिकल गैजेट्स के साथ व्यस्त रहते हैं। स्क्रू ड्राइवर, इलेक्ट्रिकल वायरिंग जैसी चीजों से खेलने का शौक उन्हें बचपन से ही है। संक्षेप में कहें तो उनका कमरा उनके लिए छोटी प्रयोगशाला जैसा है। कोई भी
वहां साफ-सफाई के लिए भी प्रवेश नहीं कर सकता। कमरे की साफ-सफाई सिर्फ उनकी निगरानी में ही होती है। गुजरात के नाडियाड के इस 22 साल के युवा के हठ का नतीजा है कि आज उनके पास तीन पेटेंट हैं। 2014 में नंदन ने अपने तीन प्रोडक्ट के पेटेंट के लिए आवेदन किया था, जिनमें से एक है फोल्डिंग की-बोर्ड, दूसरा एक स्मार्ट लॉकिंग डिवाइस और तीसरा मास स्टोरेज डिवाइस। फोल्डेबल की-बोर्ड डिवाइस नंदन ने कार्ड-बोर्ड से बनाया है। यह बहुत छोटा है और इसे कोई भी अपनी जेब में आसानी से रख सकता है। स्मार्ट लॉकिंग सिस्टम के लिए उसने अपने दोस्त वैभव पटेल के साथ साझेदारी की है और सिस्टम मैकेनिकल पासवर्ड से काम करता है। इस सिस्टम को बनाने में सिर्फ 200 रुपए की लागत आई है।
नंदन अब अपना चौथा प्रोडक्ट बना रहे हैं, एक रेप प्रिवेंशन डिवाइस। इसे हाथ पर बैंड की तरह पहना जा सकता है। इसमें एक सेंसर लगा होगा, जो लड़की के मुसीबत में होने की स्थिति में पल्सरेट बढ़ते ही हमलावर पर एक केमिकल फेंकेगा, लेकिन यह प्रोडक्ट अभी बनने की प्रक्रिया में है। हाल ही में उनके पहले तीन प्रोडक्ट के बारे में जानकारियां प्रकाशित होने के बाद दिल्ली के एक ताला निर्माता ने इस तकनीक के अधिकार हासिल करने के लिए उनसे संपर्क किया है।
स्टोरी 2: रिजवान खान जब आठ साल के थे तभी स्कूल छोड़ चुके थे, इसलिए नहीं कि वे पढ़ाई नहीं करना चाहते थे, बल्कि इसलिए कि उनका परिवार उन्हें स्कूल भेजने का खर्च उठाने की स्थिति में नहीं था। फिर वह एक ऑटोमोबाइल गैरेज में असिस्टेंट बन गए और तीन साल में ही खुद मैकेनिक बन गए। जब 12 साल के हुए तो उन्हें अहसास हुआ कि उनके हाथ काले होते जा रहे हैं और फिर उन्होंने बिल्कुल अलग काम करने का फैसला किया। एक बेकरी और हेल्दी फूड स्टोर में सहायक बन गए। तीन साल वहां काम करने के बाद लगा कि यह नाजुक काम उन्हें सूट नहीं करता और वे अपने पिता के साथ प्लंम्बिग का काम करने लगे। तीन साल बाद वे फिर नए क्षेत्र में चले गए। तब तक उनके पास अलग-अलग जगहों की तीन प्रोफेशनल ट्रेनिंग थी। फिर उन्होंने जिम कोच बनने का फैसला कर लिया। सिर्फ दो साल में ही आज 20 साल के रिजवान देश के टॉप टेन बॉडी बिल्डर्स में शामिल हो चुके हैं। और पिछले पखवाड़े वे जूनियर नेशनल का कांस्य पदक जीत चुके हैं। यही वह प्रोफेशन है, जिसमें वे हमेशा होना चाहते थे और यहां पहुंचने के लिए उन्होंने अलग रास्ता अपनाया।
स्टोरी 3: जबउनकी शादी हुई थी तब तक वे कभी स्कूल नहीं गई थीं, क्योंकि परिवार का माहौल इसके अनुकूल नहीं था। कम उम्र में शादी कर दी गई थी और उनकी दो संतान भी हो गई। जब बच्चे स्कूल जाने लगे तो उन्हें बुरा लगने लगा, क्योंकि जब बच्चे पढ़ने और लिखने में कोई मदद मांगते तो वह कोई सहायता नहीं कर पाती। जब उन्होंने तय किया कि वे स्कूल जाएंगी तो सभी को लगा कि वे मजाक कर रही हैं, लेकिन उनके प्रबल हठ ने उसी स्कूल में पढ़ने की राह खोली, जहां उनका बेटा आसिफ कक्षा 11वीं और बेटी शाहीन कक्षा नवीं में पढ़ती है। इसके लिए बोर्ड ने भी विशेष नियम बनाकर उनकी मदद की और स्कूल ने उनकी शिक्षा मुफ्त कर दी और इस बार 23 फरवरी को राफिया खातून छत्तीसगढ़ के रायपुर में कक्षा 12वीं की बोर्ड की परीक्षा में शामिल हो रही हैं। 10 वीं की परीक्षा उन्होंने प्रायवेट दी थी और उसके बाद दो साल से वे नियमित स्कूल जा रही हैं।
फंडा यह है कि अगरआप अटल हैं, हठ के पक्के हैं तो आप जीवन को अपनी पसंद की दिशा में आगे ले जा सकते हैं।
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साभार: भास्कर समाचार
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