Friday, December 4, 2015

चेन्नई आपदा पर विशेष: हम जरूरतमंदों की मदद करें, यही मानवीयता है

एन रघुरामन (मैनेजमेंट फंडा)
तारीख: इस हफ्ते मंगलवार की दोपहर।
स्थान: पूर्वी चेन्नई का उपनगर तामबरम।
दोपहर के दो बज चुके थे। बैंक ऑफ इंडिया की सेवानिवृत्त कर्मचारी कैंसर रोगी राजी शंकरन अपने पहले माले के किचन की खिड़की के पास खड़ी सोच रही थीं कि खाना क्या बनाएं। पिछले 48 घंटों से बारिश थमी नहीं थी। दूध नहीं, सब्जी नहीं, अखबार नहीं और बिजली की आंख-मिचौली के कारण टीवी भी नहीं। शहर की जिंदगी बिल्कुल उलट-पुलट हो गई थी। वृद्धावस्था की मेडिकल किट सहित बिजली के कोई उपकरण चलाना संभव नहीं था। 
उनका उपनगर सर्वाधिक प्रभावित हुआ था, क्योंकि वन प्लस वन फ्लोर के बंगलों से गुलजार यह जगह, पिछले दो वर्षों में धीरे-धीरे बहुमंजिला इमारतों से भर गई थी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। आप जहां निगाह डालें मजदूरों को या तो पुराना भवन गिराते या किसी नई बहुमंजिला इमारत के लिए काम करते देखेंगे। उनके घर की तलमंजिल पानी में डूब चुकी थी। वहां रहने वाली किरायेदार को प्रतिदिन कम से कम दस घंटे ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती थी और बिजली होने से उन्हें अस्पताल में भर्ती होने पर मजबूर होना पड़ा। कमर तक भरे पानी में से एंबुलेंस आई और उस महिला को ले गई। 

सात घंटों तक अस्पताल और एंबुलेंस वालों के साथ माथापच्ची करने के बाद राजी किचन में लौटी थीं। सामने वाले निर्माणाधीन भवन में अलग-अलग जगह काम कर रहे मजदूर बड़ी संख्या में आकर इकट्‌ठे हो गए थे। उन्हें यह असामान्य बात लगी। बारिश के शोर मंे तो एक फीट दूर आवाज पहुंचाना मुश्किल था, इसलिए उन्होंने हाथ के इशारे से पूछा कि क्या बात है। उन्होंंने इशारे से बताया कि हमारी सारी जलाऊ लकड़ी गीली हो गई है। रेस्त्रां और खाने के सारे ठिकाने बंद हैं और बच्चों को भूख लगी है। उन्होंने उनमें से एक को घर आने को कहा और उससे वहां मौजूद लोगों की संख्या पूछी। राजी ने उन्हें आश्वस्त किया कि बारिश थमने और उनके लिए भोजन की वैकल्पिक व्यवस्था होने तक वे उन लोगों के लिए खाना बनाएंगी। और अगले दो दिनों तक 70 वर्षीय युगल बस खाना बनाने में ही व्यस्त रहा। एक वेबसाइट chennairains.org बनाई गई ताकि जरूरतमंदों को ऐसे भले लोगों से जोड़ा जा सके। कोलकाता से दिल्ली तक ऐसे अच्छे लोगों ने पानी से घिरे लोगोें के फोन रिचार्ज करने में मदद की। न्यूयॉर्क में रहने वाले एक ब्लॉगर और ट्विटर यूज़र ने गूगल स्प्रेडशीट और chennairains.org की सहायता से ऑनलाइन स्वयंसेवकों से तालमेल बैठाया। स्प्रेडशीट को कोई भी एडिट कर सकता है और उसमें उन जगहों, संपर्क की जानकारी है, जो लोगों को शरण दे सकते हैं। 
चेन्नई मूल की सिडनी में रहने वाली ऐश्वर्या राव ने बचाव अभियान में मदद के लिए पैसा इकट्‌ठा करने का ऑनलाइन अभियान चलाया। कॉर्पोरेट जगत भी पीछे नहीं है। पेटीएम ने 30 रुपए का तत्काल मोबाइल रिचार्ज दिया। ऑनलाइन फूड ऑर्डर करने के एप जोमैटो ने भोजन के एक ऑर्डर पर अगले 30 मिनट में एक व्यक्ति का भोजन दान करने की स्कीम चलाई। टैक्सी एप अोला, जिसने पिछले माह चेन्नई के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में नौकाएं चलाई थीं 'ओला सेफ्टी जोन' तैयार किए, जिसमें बाढ़ में फंसे लोगों के लिए नि:शुल्क आवास की व्यवस्था है। सेल्फ ड्राइव कार किराये पर देने वाली कंपनी जूम कार ने अपनी कारों को एंबुलेंस के बतौर सेवा में लगा दिया। ऑनलाइन किराने के सामान का ऑर्डर लेने वाली बिग बॉस्केट.कॉम की एक माइक्रोसाइट है nammaChennaiRelief जिस पर लोग राहत सामग्री के लिए किराने का सामान दान कर सकते हैं। स्वास्थ्य रक्षा के क्षेत्र में खोज के प्लेटफॉर्म प्रैक्टो ने डॉक्टरों अस्पतालों की सूची जाहिर की जबकि housejoy ने कुछ इलाकों में घरों के लिए बिजली की मरम्मत, नलों की दुरुस्ती, मच्छरों पर िनयंत्रण जैसी सेवाएं दीं। किफायती रहवासी घरों का पता लगाकर उन्हें ठहरने वाले मुहैया कराने वाली कंपनी स्टेजिला ने लोगों को अपने घरों में बाढ़ प्रभावितों को शरण देने के लिए प्रोत्साहित किया। 
फंडा यह है कि यदिआप मानव हैं तो मानव निर्मित या प्राकृतिक आपदा के समय सवाल मत पूछिए- सिर्फ मदद कीजिए। 

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभारभास्कर समाचार 
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