साभार: भास्कर समाचार
काम के बंटवारे को लेकर चार जजों के नाराजगी जताने के बाद सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था बदल गई है। गुरुवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने काम के बंटवारे का राेस्टर जारी किया। इसमें तय किया गया है कि कौन-से
जज के पास किस सब्जेक्ट के केस जाएंगे। 5 फरवरी से अमल में आने वाला यह रोस्टर सिस्टम सुप्रीम कोर्ट में पहली बार लागू होगा। अभी तक चीफ जस्टिस की सलाह से रजिस्ट्री ही केस आवंटित करती थी। चीफ जस्टिस ने यह रोस्टर कोर्ट की वेबसाइट के जरिये सार्वजनिक किया। पुराने मामले नई व्यवस्था से बेअसर रहेंगे। नया रोस्टर सुप्रीम कोर्ट के प्रशासन पर सवाल उठाने वाले चारों जजों के लिए झटके के तौर पर देखा जा रहा है। अब सभी जनहित याचिकाओं पर सिर्फ चीफ जस्टिस की बेंच ही सुनवाई करेगी। संविधान पीठ में कौन-कौन से जज शामिल होंगे, यह तय करने का अधिकार भी चीफ जस्टिस के पास ही रहेगा। उल्लेखनीय है कि 12 जनवरी को जस्टिस जे चेलमेश्वर, रंजन गोगोई, मदन बी लोकुर और कुरियन जोसेफ ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर काम के बंटवारे में भेदभाव का आरोप लगाया था। इन्होंने संविधान पीठ में भी सिर्फ पहले पांच वरिष्ठ जजों को ही रखने की मांग की थी। पुराना सिस्टम: काम आवंटन का कोई क्राइटेरिया नहीं था। चीफ जस्टिस की सलाह से रजिस्ट्री केस बांटती थी। सिर्फ चीफ जस्टिस ही जानते थे कि किसके पास कैसे मामले हैं। वह अपनी मर्जी से किसी के भी पास जनहित याचिका भेज सकते थे।
ये नई व्यवस्था: व्यवस्था पारदर्शी हो गई। सबको पता होगा कि किस सब्जेक्ट की सुनवाई कौन-सी बेंच करेगी। जनहित याचिकाओं पर सुनवाई सिर्फ चीफ जस्टिस की बेंच ही करेगी। यह सिस्टम कई हाईकोर्ट में पहले से लागू है।
- चीफ जस्टिस की सलाह से रजिस्ट्री बांटती थी काम
- क्राइटेरिया तय हुआ, किसके पास जाएगा कौन-सा सब्जेक्ट
- सुप्रीम कोर्ट के पांच सीनियर जजों के बीच इस तरह बंटेगा काम
- जनहित याचिकाएं सीजेआई के पास, इनमें ज्यादातर से जुड़े होते हैं बड़े विवाद
प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले चारों जजों के पास आएंगे ऐसे सब्जेक्ट मैटर:
- जस्टिस जे चेलमेश्वर: श्रम, अप्रत्यक्ष कर, भूमि अधिग्रहण, मुआवजा, अपराध, साधारण सिविल, साधारण धन एवं गिरवी संपत्ति केस, न्यायिक अधिकारियों व कोर्ट कर्मचारियों से जुड़े मामले, भूमि एवं कृषि कानून, कब्जा छुड़ाने और उपभोक्ता संरक्षण संबंधी केस।
- जस्टिस कुरियन जोसेफ: श्रम, किराया, नौकरी, अपराध, परिवार कानून, अवमानना, पर्सनल लॉ, धार्मिक एवं प्राचीन संपत्ति और भूमि कानून संबंधी केस।
- जस्टिस रंजन गोगोई: श्रम, अप्रत्यक्ष कर, कंपनी लॉ, सेबी, ट्राई, आरबीआई, अपराध, अवमानना, पर्सनल लॉ, धार्मिक एवं प्राचीन मामले, बैंकिंग, धन एवं गिरवी संपत्ति, स्टेट एक्साइज, सरकारी कांट्रेक्ट, न्यायिक अधिकारियों व कोर्ट कर्मचारियों और लाइसेंस विवाद से जुड़े केस।
- जस्टिस मदन बी लोकुर: भूमि अधिग्रहण, नौकरी, वन, वन्य जीवन, पर्यावरण असंतुलन, सामाजिक न्याय, साधारण सिविल केस, पर्सनल लॉ, धार्मिक एवं प्राचीन मामले, खदान, खनिज तत्व, भूमि कानून, उपभोक्ता संरक्षण और सशस्त्र बलों से जुड़े केस।