साभार: जागरण समाचार
हरियाणा में रथयात्रा निकालने की तैयारी कर रहे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने शुक्रवार को मानेसर जमीन घोटाले में हुड्डा और उनकी सरकार में पावरफुल रहे कई
अफसरों समेत लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। करीब हजार पेज की चार्जशीट संबंधी दस्तावेज सीबीआइ अधिकारी दो अलमारियों में भरकर पंचकूला सीबीआइ कोर्ट में लाए। सीबीआइ के विशेष जज ने फरवरी तक अन्य दस्तावेज जमा कराने को कहा है।
चार्जशीट में हुड्डा के पूर्व प्रधान सचिव एमएल तायल, पूर्व प्रधान सचिव छतर सिंह, अतिरिक्त पूर्व प्रधान सचिव एवं तत्कालीन हुडा प्रशासक एसएस ढिल्लो, पूर्व डीटीपी जसवंत सिंह और कई बिल्डरों के नाम शामिल हैं। छतर सिंह केंद्रीय लोक सेवा आयोग में भी सदस्य रह चुके हैं। चार्जशीट में एबीडब्ल्यू बिल्डर्स के अतुल बंसल का नाम भी शामिल है। मानेसर जमीन घोटाला करीब 1600 करोड़ का बताया जाता है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी 12 अप्रैल 2017 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ को जांच रिपोर्ट जमा कराने के लिए चार माह का समय दिया था और साथ ही हरियाणा सरकार को भी एक सप्ताह के भीतर जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग की रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए थे। अब सीबीआइ ने पंचकूला की विशेष सीबीआइ अदालत में मानेसर घोटाले मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी।
इस मामले में ईडी ने भी हुड्डा के खिलाफ सितंबर 2016 में मनी लांडिंग का केस दर्ज किया था। ईडी ने हुड्डा और अन्य के खिलाफ सीबीआइ की एफआइआर के आधार पर आपराधिक मामला दर्ज किया था।
सरकार ने 17 सितंबर 2015 को सीबीआइ को सौंपा था केस: पिछली हुड्डा सरकार पर अपने कार्यकाल के दौरान 1600 करोड़ की करीब 900 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर उसे सिर्फ 100 करोड़ में बेचने का आरोप है। हुड्डा बार-बार इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहते हैं कि भाजपा नेताओं के अनुरोध पर ही अधिगृहीत जमीन छोड़ी गई थी। यह जमीन तीन गांवों की है। किसानों ने गुरुग्राम के मानेसर थाने में केस दर्ज कराया था। भाजपा सरकार ने 17 सितंबर 2015 को मामला सीबीआइ के सुपुर्द कर दिया। सीबीआइ ने अधिग्रहण में अनियमितता को लेकर मामला दर्ज किया।
अधिग्रहण का डर दिखाकर बिल्डरों ने खरीदी थी जमीनें: पिछली सरकार ने आइएमटी मानेसर की स्थापना के लिए 900 एकड़ जमीन अधिगृहीत करने के लिए मानेसर, नौरंगपुर और लखनौला के ग्रामीणों को सेक्शन 4, 6 और 9 के नोटिस थमाए थे। इसके बाद प्राइवेट बिल्डरों ने किसानों को अधिग्रहण का डर दिखाकर जमीनों को कौड़ियों के भाव खरीद लिया।
- साढ़े तीन साल में इस सरकार ने एक भी वादा पूरा नहीं किया। हां, प्रदेश में दंगे जरूर कराए। निर्दोष लोगों की जानें लीं। लोग अब सरकार को पूरी तरह से नकार चुके तो वह ओछे हथकंडों पर उतर आई है। पब्लिक सब जानती है कि इन आरोपों में कितनी सच्चाई है और सारा खेल क्या है। भाजपा नेता मेरा मुंह न खुलवाएं। - भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पूर्व मुख्यमंत्री