साभार: जागरण समाचार
हरियाणा में लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद राजनीति का स्वरूप कुछ अलग तरह का होगा। भाजपा को रोकने के लिए जहां नए गठबंधन बन सकते हैं, वहीं पुराने सियासी रिश्तों में भी बदलाव संभव है। लोकसभा
चुनाव के नतीजे आने में अभी आठ दिन बाकी हैं, लेकिन अभी से कांग्रेस को लग रहा कि आम आदमी पार्टी और जननायक जनता पार्टी के गठबंधन में शामिल नहीं होना उसकी बड़ी राजनीतिक भूल थी।
राज्य की सभी दस सीटों पर हुए मतदान के बाद जिस तरह के आकलन किए जा रहे हैं, उससे भाजपा खासी उत्साहित है। कांग्रेस के लिए भी अच्छी खबरें हैं, लेकिन अपने-अपने चुनाव में उलङो कांग्रेस दिग्गजों को लग रहा है कि यदि वे भी आप-जजपा गठबंधन का हिस्सा होते तो नतीजे काफी चौकाने वाले हो सकते थे। आप अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल ने आखिर तक कोशिश की थी कि कांग्रेस इस गठबंधन का हिस्सा बन जाए। हालांकि जजपा नेता दुष्यंत चौटाला इसके लिए तैयार नहीं थे, लेकिन भाजपा को शिकस्त देने की मंशा से केजरीवाल और जयहिंद ने दुष्यंत को इसके लिए राजी कर लिया था।
कांग्रेस अध्यक्ष भी चाहते थे महागठबंधन: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी चाहते थे कि हरियाणा में महागठबंधन तैयार कर भाजपा के विरुद्ध चुनाव लड़ा जाए। मगर कभी हुड्डा तो कभी रणदीप सुरजेवाला और अशोक तंवर इस महागठबंधन में आड़े आते रहे। राहुल गांधी की घुड़की के बाद आखिर में कांग्रेस नेता इसके लिए तैयार हुए तो पेंच सीटों के बंटवारे पर फंस गया। बहरहाल, हरियाणा में अंबाला, कुरुक्षेत्र, सिरसा, भिवानी, रोहतक, फरीदाबाद और हिसार ऐसी लोकसभा सीटें हैं, जहां कांग्रेस ने पूरी मजबूती के साथ चुनाव लड़ा। इन सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों की जीत-हार का अंतर बहुत ज्यादा नहीं होगा। ऐसे में अब कांग्रेस दिग्गजों को महसूस होने लगा कि आप-जजपा गठबंधन का वोट बैंक उनके लिए संजीवनी बूटी साबित हो सकता था।
चारों ओर हार-जीत की चर्चा: हरियाणा में आजकल चारों तरफ यही चर्चा है कि किस सीट पर कौन चुनाव जीत रहा और कौन हार रहा। प्रत्याशियों की हार-जीत के कारणों पर खुलकर चर्चा हो रही है। हरियाणा में बहुजन समाज पार्टी और लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के बीच गठबंधन है। बसपा ने आठ और लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी ने दो लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन एक भी सीट ऐसी नहीं है, जिस पर मतदाताओं को इस गठबंधन के उम्मीदवारों के नाम भी याद रहे होंगे। ऐसे में यह गठबंधन अगले विधानसभा चुनाव में बदलाव का रूप भी ले सकता है। हरियाणा की सात लोकसभा सीटों पर जजपा और तीन सीटों पर आप ने लोकसभा चुनाव लड़ा है। जजपा ने अपने हिस्से की हिसार, सोनीपत और भिवानी-महेंद्रगढ़, जबकि आप ने फरीदाबाद लोकसभा सीट पर पूरी मजबूती के साथ चुनाव लड़ा है। महागठबंधन की स्थिति में यदि इन उम्मीदवारों को कांग्रेस का साथ मिल जाता तो कोई भी बड़ा राजनीतिक गुल खिल सकता था। अब चुनाव नतीजों के बाद इस बात की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता कि राज्य में विधानसभा चुनाव के दौरान नए गठबंधन तैयार हो सकते हैं।