साभार: जागरण समाचार
आइएएस बेटे को सांसद बनवाने के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल कराने की लॉबिंग में जुटे चौधरी बीरेंद्र सिंह की रणनीति कारगर नहीं हो पाई। बेटे को राजनीति में स्थापित करने के लिए खुद का सियासी कॅरियर दांव पर
लगाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री अंतिम समय तक बृजेंद्र सिंह के लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के संपर्क में रहे, लेकिन बात नहीं बनी।
भाजपा की पिछली केंद्र सरकार में बीरेंद्र सिंह केंद्रीय मंत्री थे। पार्टी आलाकमान उन्हें लोकसभा के चुनावी रण में दोबारा उतारना चाहता था, जबकि बीरेंद्र सिंह अपने बेटे को टिकट दिलवाने पर अड़े रहे। इसी कशमकश के चलते न केवल हिसार में भाजपा प्रत्याशी की घोषणा अंतिम समय तक अटकी रही, बल्कि बीरेंद्र सिंह ने बेटे को टिकट दिलवाने की बड़ी कीमत भी चुकाई। बृजेंद्र सिंह की टिकट को प्रतिष्ठा का सवाल बनाते हुए उन्होंने खुद केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देकर राज्यसभा से भी इस्तीफा देने की पेशकश कर डाली।
बृजेंद्र सिंह सांसद बनने में तो कामयाब हो गए, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद मोदी सरकार में मंत्री नहीं बन सके। बीरेंद्र सिंह पिछले चार दिन से उन्हें मंत्री बनवाने के लिए केंद्र में लॉबिंग कर रहे थे। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के जरिये बीरेंद्र सिंह लगातार बेटे को मंत्री बनवाने के लिए प्रयास करते रहे। पिछली मोदी सरकार में बीरेंद्र सिंह के माध्यम से जहां जाट समुदाय को प्रतिनिधित्व दिया गया था, वहीं इस बार जाट बिरादरी से कोई मंत्री नहीं बनाया गया है।