साभार: जागरण समाचार
हरियाणा के विभिन्न विश्वविद्यालयों में अब कैंसर की बीमारी का सस्ता, पीड़ा रहित और उत्तम इलाज ढूंढने के लिए अनुसंधान होगा। देश में कैंसर से होने वाली मौतों में एक तिहाई हरियाणा के लोगों की हैं। इसका मुख्य
कारण तेजी से बढ़ता औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और उर्वरक एवं कीटनाशक दवाइयों का अधिक उपयोग है।
वर्तमान में कैंसर के उपचार में प्रयोग होने वाली दवाएं पैक्लीटक्सल, डोक्सोरयूबीन एवं विनक्रिस्टी अपनी उपयोगिता खो रही हैं, क्योंकि कैंसर ने उनके प्रति प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न कर ली है। दूसरा, यह दवाएं कैंसर और सामान्य कोशिकाओं के भेद को नहीं पहचानती, जिससे दवाओं के दुष्प्रभाव ज्यादा बढ़ रहे हैं। हरियाणा सरकार ने वर्ष 2018-19 के दौरान विभिन्न विश्वविद्यालायों के छह वैज्ञानिकों व प्राध्यापकों को अनुसंधान परियोजनाओं के लिए एक करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है। इसकी अधिकतम अवधि तीन वर्ष होगी, ताकि नई खोज से जनसाधारण के सामाजिक और आर्थिक जीवन स्तर को सुधारा जा सके।
हरियाणा के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रधान सचिव डा. अशोक खेमका के अनुसार अनुसंधान की महत्ता के मद्देनजर बजट राशि बढ़ाई जा सकती है। अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं के लिए 20 लाख रुपये की तक की राशि अधिकतम तीन साल के लिए दी जाती है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में रसायन विभाग की प्रोफेसर डा. रंजना अग्रवाल, दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मुरथल (सोनीपत) के मैटीरियल्स एंड नैनो टेक्नालाजी विभाग के प्रोफेसर डा. अशोक कुमार शर्मा और केंद्रीय विश्वविद्यालय महेंद्रगढ़ के डा. संजय कुमार कैंसर के उपचार के क्षेत्र में नई रिसर्च को अंजाम देंगे। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग के सहायक प्रोफेसर डा. मनीष कुमार हाईब्रिड पेरोवस्काइट आधारित ऊर्जा हार्वेस्टर के विकास पर अनुसंधान करेंगे, जबकि लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय हिसार के पशु जैव तकनीकी विभाग की प्रोफेसर डा. सुशीला मान समाज में कमजोर वर्ग के लिए सुअर पालन को अति लाभकारी व्यवसाय के क्षेत्र में अनुसंधान करेंगी। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के सहायक प्रोफेसर डा. नीरज कुमार दुनिया के सबसे विनाशकारी खरपतवार कांग्रेस घास के समाधान के क्षेत्र में अनुसंधान करेंगे।