नियम 134-ए के तहत गरीब बच्चों को दाखिला देने में आनाकानी कर रहे निजी स्कूलों को प्रदेश सरकार ने एक सप्ताह की मोहलत दी है। चंडीगढ़ स्थित निवास पर शनिवार को उच्च स्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल
ने निर्देश दिया कि परीक्षा पास करने वाले सभी 78 हजार बच्चों का दाखिला सुनिश्चित कराएं। मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग के अफसरों को तीन दिन के भीतर सभी निजी स्कूलों को प्रतिपूर्ति राशि जारी करने की हिदायत देते हुए कहा कि इसके बावजूद अगर कोई स्कूल दाखिला नहीं देता है तो उसकी मान्यता रद कर दी जाए।
निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के दाखिले पर एक महीने से छिड़े घमासान पर संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री ने यह बैठक बुलाई थी। पिछले चार-पांच वर्षो से प्रतिपूर्ति राशि नहीं दिए जाने का आरोप लगाते हुए ज्यादातर निजी स्कूल संचालक गरीब बच्चों को दाखिला देने से इंकार कर रहे हैं। शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा, उच्चतर शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव अनिल कुमार, माध्यमिक शिक्षा महानिदेशक राकेश गुप्ता के साथ बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि 25 मई तक पहली मेरिट लिस्ट के सभी 52 हजार 226 विद्यार्थियों को दाखिला दिलाया जाए। दूसरे चरण में 26 हजार 756 विद्यार्थियों को दाखिले दिलाए जाएंगे। निजी स्कूलों में पढ़ाई शुरू हुए डेढ़ महीना हो चुका, लेकिन अभी तक बच्चों के दाखिलों की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है।
दो जमा पांच मुद्दे जन आंदोलन के संयोजक सत्यवीर सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार निजी स्कूलों के साथ सख्ती से पेश आए। नियम 134-ए के तहत परीक्षा पास करने वाले बच्चों की जो सूची जारी हुई है, उस पर अमल नहीं हो रहा। कोई स्कूल फीस मांग रहा तो कोई अनावश्यक कागजात की आड़ में दाखिले नहीं दे रहा। कई बच्चों को 15 किलोमीटर से अधिक दूरी के स्कूलों में दाखिला देने की बात कही जा रही है। जिन बच्चों का दाखिला मिला भी तो निजी स्कूल संचालक उन्हें अपनी बसों में नहीं बैठाते, जबकि वह शुल्क देने को तैयार हैं। उन्होंने मांग की कि अनावश्यक शर्तो को खत्म किया जाए।
सीधे स्कूल के खाते में आएगा पैसा: मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन निजी स्कूलों ने अभी फीस प्रतिपूर्ति के लिए दावा नहीं किया है, वे तीन दिन में जिला शिक्षा अधिकारी, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों के जरिये दावा करेंगे ताकि पूरा पैसा सीधे स्कूल के खाते में डाला जा सके। शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने बताया कि स्कूल आवंटन प्रक्रिया के दौरान अभिभावकों की गलती से ऐसे विद्यालयों का चयन कर लिया गया, जिसमें उनके बच्चे पहले से ही शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। कुछ ऐसे स्कूल भी अभिभावकों द्वारा चुन लिए गए, जो अंग्रेजी से हिंदी माध्यम, सहशिक्षा से कन्या विद्यालय, सीबीएसई से हरियाणा बोर्ड में बदल गए थे। शिक्षा विभाग ने दोबारा मेरिट के आधार पर स्कूल आवंटित कर बच्चों को राहत दी है।