साभार: जागरण समाचार
उत्तरी कश्मीर के बारामुला जिले से शनिवार को गिरफ्तार लश्कर-ए-तैयबा के दो कश्मीरी आतंकियों ने पूछताछ में माना कि उन्हें नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान के हाई कमीशन ने वीजा मुहैया करवाया था।
आतंकियों ने यह भी स्वीकार किया कि उन्हें इस्लामाबाद के पास स्थित बर्मा नामक कैंप में पाकिस्तान के लड़कों के साथ ही प्रशिक्षण दिया गया। वहां पर आतंकवाद का प्रशिक्षण लेने वाले अधिकतर युवा बलूचिस्तान के रहने वाले हैं और इनमें कई छोटे-छोटे बच्चे भी हैं। आतंकियों के इस खुलासे से जम्मू कश्मीर में दहशतगर्दो को भेजने से हर बार मना करने वाले पाकिस्तान का सफेद झूठ भी सामने आ गया है। आतंकियों की गिरफ्तारी को जम्मू कश्मीर पुलिस की बड़ी सफलता माना जा रहा है। लश्कर के दोनों आतंकियों को सुरक्षाबलों ने बारामुला में एक नाके पर गिरफ्तार किया। दोनों आतंकी पाकिस्तान से प्रशिक्षण लेकर बाघा-अटारी बार्डर से लौट रहे थे। इससे पहले कि ये कश्मीर में किसी बड़ी वारदात को अंजाम देते उन्हें पकड़ लिया गया। गिरफ्तार आतंकियों की पहचान अब्दुल मजीद भट निवासी क्रीरी और मोहम्मद अशरफ मीर निवासी पट्टन के रूप में हुई है। क्रीरी और पट्टन बारामुला जिले में हैं।
पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि पूछताछ के दौरान आतंकियों ने खुलासा किया कि उन्हें इस्लामाबाद के पास स्थित बर्मा नामक कैंप को हंजाला, अदनान और उमर कोड से आतंकी कमांडर चला रहे थे। दूसरी जगहों पर जिन बच्चों को ट्रेनिंग दी जा रही हैं, उन्हें ओसामा, नवीद और हताफ कोड से आतंकी कमांडर चला रहे हैं। दोनों आतंकियों के खिलाफ मामला दर्ज कर उनसे और पूछताछ की जा रही है। पुलिस ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में कश्मीर में ऐसे कई गुटों को पकड़ा गया है, जो बच्चों को गुमराह कर उन्हें आतंकी प्रशिक्षण देने के लिए सीमा पार भेजने की तैयारी में थे। ऐसे कई युवाओं को हिरासत में लिया गया है।
पत्थरबाजी के 9730 केस लिए वापस: जम्मू कश्मीर सरकार ने अब तक पत्थरबाजी के 1745 मामलों में 9,730 युवाओं पर दर्ज केस वापस लिए हैं। इनमें 2008 से 2017 के बीच पत्थरबाजी के मामले व पहली बार पत्थरबाजी करने वाले युवाओं पर केस शामिल हैं। राज्य विधानसभा में विधायक आरएस पठानिया, शेख इशफाक जब्बार और अंजुम फाजली के प्रश्न के जवाब में मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने लिखित में यह जानकारी दी। सरकार ने मामले वापस लेने के लिए कमेटी का गठन किया था। कमेटी की सिफारिश पर कुछ शर्तो के साथ मामले वापस लिए गए हैं। सरकार ने सुरक्षा कारणों का वास्ता देते हुए पहली बार पत्थरबाजी करने वाले युवाओं की विस्तार से जानकारी देने से इन्कार कर दिया।
पाक दे रहा पढाई के लिए वजीफा: पाक अपने यहां इंजीनियरिंग एवं डॉक्टरी की पढ़ाई करने आए कश्मीरी छात्रों को वजीफा दे रहा है। इन छात्रों को अलगाववादी संगठन हुर्रियत के नेताओं की सिफारिश पर नई दिल्ली स्थित पाक उच्चायोग आसानी से वीजा जारी कर देता है। यह सुविधा सिर्फ उन्हीं परिवारों के बच्चों के लिए है, जो या तो आतंकियों के रिश्तेदार हैं अथवा उनके परिवार का जुड़ाव अलगाववादियों से है। दिल्ली की एक अदालत में टेरर फंडिंग मामले में 18 जनवरी को दाखिल चार्जशीट में एनआइए ने यह आरोप लगाया है। चार्जशीट में लश्कर संस्थापक हाफिज सईद, आतंकी सरगना सैयद सलाहुद्दीन सहित टेरर फंडिंग मामले में गिरफ्तार सात कश्मीरी अलगाववादियों व तीन अन्य को आरोपी बनाया गया है।