Thursday, February 11, 2016

आरटीआई: केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 58 फीसदी पद खाली

देश के 39 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एससी/एसटी और ओबीसी कोटे के शिक्षकों के 58 फीसदी पद खाली हैं। इन वर्गों के लिए स्वीकृत 4763 पद में से सिर्फ 1977 पदों पर असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, प्रोफेसर की नियुक्तियां हुई हैं। इसके अलावा असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए बीएचयू और एचएनबी गढ़वाल ने स्वीकृत पदों से ज्यादा नियुक्तियां सामान्य वर्ग में कर ली थी। आंकड़े एक साल पुराने हैं लेकिन वर्तमान में भी इनकी प्रासंगिकता है क्योंकि हाल ही में हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला के सुसाइड के बाद आरक्षण का मुद्दा गर्माया हुआ है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। 
आरटीआई कार्यकर्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि उन्होंने 2015 में आरटीआई के माध्यम से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से केंद्रीय विवि में एससी/एसटी और ओबीसी वर्ग के शिक्षकों का ब्योरा मांगा था। आरटीआई (2015) के मुताबिक केंद्रीय विश्वविद्यालयों में कुल 6107 असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, प्रोफेसर के पद खाली हैं। इनमें 1135 एससी, 610 एसटी और 1041 ओबीसी कोटे के पद हैं। जबकि शिक्षकों के कुल स्वीकृत पद 16339 हैं। इसके अलावा गौर करने वाली बात यह है कि प्रोफेसर पद के लिए एससी कोटे के लिए स्वीकृत 276 पदों में सिर्फ 38 पद और एसटी कोटे के लिए स्वीकृत 124 में से सिर्फ 11 पद पर नियुक्तियां हुई थीं। जबकि शारीरिक विकलांग कोटे से 232 पद खाली हैं। इस संबंध में यूजीसी ने कई बार विवि प्रशासन को नोटिफिकेशन जारी किया, जिसमें कहा गया कि आरक्षित पदों को भरने की पूरी जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की है।
उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा सीटें खाली: शिक्षकों (सभी वर्ग) के सबसे ज्यादा 1667 पद उत्तर प्रदेश के चार केंद्रीय विवि में खाली हैं। दिल्ली प्रदेश के तीन विवि में 1405, उत्तराखंड के एक विवि में 165, जम्मू व कश्मीर के दो विवि में 172, हरियाणा के एक विवि में 145, हिमाचल के एक विवि में 121, पंजाब के एक विवि में 111 असि. प्रोफे., असो. प्रोफे., प्रोफेसर के पद खाली थे। 
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साभार: अमर उजाला समाचार 
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