Friday, February 12, 2016

आइंस्टीन की 100 साल पुरानी थ्योरी हुई प्रैक्टिकली सिद्ध: गुरुत्वाकर्षण तरंगों को वैज्ञानिकों ने ढूंढ निकाला

सौ साल पहले आइंस्टीन ने अंतरिक्ष में जिन गुरुत्वाकर्षण तरंगों की भविष्यवाणी की थी उसे वैज्ञानिकों ने अंतत: ढूंढ निकाला है। वैज्ञानिकों ने बुधवार को इसकी घोषणा की और इस सफलता की खुशी की तुलना गैलिलियो द्वारा टेलीस्कोप से पहली बार ग्रहों के देखे जाने से की। विज्ञानियों ने इसे सदी की सबसे बड़ी खोज
बताया है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इससे अंतरिक्ष को और बेहतर तरीके से समझना मुमकिन होगा। ब्रह्मांड में होने वाले जबरदस्त टकरावों से उत्पन्न होने वाले इन तरंगों की खोज से खगोलविद काफी खुश हैं क्योंकि इससे ब्रह्मांड को देखने का एक नया नजरिया मिल गया है। उनके लिए यह एक मूक फिल्म को आवाज देने जैसा है क्योंकि ये तरंगे ब्रह्मांड की आवाज हैं। खोज टीम में शामिल कोलंबिया यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोफिजिसिस्ट स्जाबोल्क्स मार्का ने कहा, ‘अभी तक हमारी सिर्फ नजरें आसमान पर थीं और हम उसका संगीत नहीं सुन सकते थे। अब आकाश पहले जैसा नहीं होगा।’
आइंस्टीन की थ्योरी 100 साल बाद सही सिद्ध: यह खोज विज्ञान के इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण पल है। गुरुत्वाकर्षण तरंगें ब्रह्मांड को देखने का नया तरीका देती हैं। इन तरंगों का पता लगने से खगोल विज्ञान में क्रांति आएगी। -स्टीफन हॉकिंग, दुनिया के शीर्ष खगोल भौतिकविद
लिगो अब तक का सबसे एडवांस डिटेक्टर: वैज्ञानिकों को गुरुत्व तरंगों की पहली झलक दिखलाने वाली मशीन लिगो (लेजर इंटरफोरोमीटर ग्रेविटेशनल वेव ऑब्जर्वेटरी) अब तक की सबसे एडवांस डिटेक्टर है। अमेरिका में ऐेसेे दो भूमिगत डिटेक्टर वाशिंगटन व लुसियाना में हैं। लुसियाना स्थित डिटेक्टर ने 14 सितंबर को गुरुत्व तरंगों के पहले संकेत पकड़े। वाशिंगटन में स्थित मशीन ने इन्हीं तरंगों को 7.1 मिलीसेकेंड बाद नोट किया। इससे वैज्ञानिकों को अपनी खोज के हकीकत होने का विश्वास हुआ।
क्या हैं गुरुत्व तरंगें: गुरुत्व तरंगे अंतरिक्ष में होने वाले खिंचाव के माप हैं। ये बड़े द्रव्यमानों की गति के ऐसे प्रभाव हैं जो अंतरिक्ष समय की संरचना को स्पष्ट करते हैं जो अंतरिक्ष और समय को एक रूप में देखने का तरीका है। ये प्रकाश की गति से चलती हैं और इन्हें रोकना या बाधित करना संभव नहीं है।
खोज में भारतीय विज्ञानियों के योगदान को पीएम मोदी ने सराहा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुत्व तरंगों की खोज पर खुशी जाहिर करते हुए इसमें भारतीय विज्ञानियों के योगदान की सराहना की है। पीएम ने ट्वीट में कहा है कि इस चुनौतीपूर्ण कार्य में भारतीय विज्ञानियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर मुझे गर्व है। इससे अंतरिक्ष के रहस्य समझने के नए आयाम मिलेंगे। परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व चेयरमैन अनिल काकोदकर ने खोज में शामिल भारतीय विज्ञानियों टीम को बधाई दी है। मालूम हो कि इस महत्वपूर्ण खोज में 16 देशों के 90 विश्वविद्यालयों के एक हजार से भी ज्यादा विज्ञानियों का योगदान है। अनिल काकोदकर ने इसे विज्ञान के लिए महान दिन बताया। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: अमर उजाला समाचार 
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