साभार: जागरण समाचार
सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव को चुनाव आयोग की ओर से आदर्श आचार संहिता उल्लंघन मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को क्लीन चिट देने वाले आदेश को रिकॉर्ड पर रखने
का निर्देश दिया है। कांग्रेस ने दोनों नेताओं के खिलाफ चुनाव प्रचार के दौरान नफरत फैलाने वाले भाषण देने और सशस्त्र बलों के इस्तेमाल की शिकायत की थी।
प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने इसके साथ ही सिलचर से कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव की याचिका आठ मई के लिए सूचीबद्ध कर दी। सुष्मिता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि चुनाव आयोग ने मोदी-शाह के खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन की शिकायतें खारिज करते हुए अतार्किक आदेश पारित किया है। ऐसी भी खबरें हैं कि कुछ फैसलों से एक चुनाव आयुक्त असहमत थे। उन्होंने कहा कि ज्यादातर फैसले भाजपा नेताओं के पक्ष में गए हैं जो सर्वसम्मत नहीं थे। साथ ही कांग्रेस और उसके शिकायतकर्ता नेता को न तो इन आदेशों की प्रति उपलब्ध कराई गई और न ही फैसलों का आधार बताया गया है। सिंघवी ने कहा कि इसी तरह की बयानबाजी पर आयोग ने अन्य नेताओं को खिलाफ तो कार्रवाई की थी, लेकिन उसने मोदी-शाह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से मांग की कि आचार संहिता उल्लंघन के मामले समयबद्ध तरीके से निपटने के लिए दिशानिर्देश तैयार पर विचार किया जाए क्योंकि ऐसे मामलों में विलंब से सभी दलों को समान मौका नहीं मिल पाता। मालूम हो कि आयोग ने प्रधानमंत्री को उनके लातुर और वर्धा के भाषणों के लिए क्लीनचिट दी थी।
लातूर में मोदी ने पहली बार मतदान करने वाले युवाओं से बालाकोट एयर स्ट्राइक के हीरो और पुलवामा हमले में मारे गए जवानों को अपने वोट समर्पित करने का अनुरोध किया था। जबकि वर्धा में एक अप्रैल को राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए उन्होंने संकेत दिया था कि वायनाड संसदीय क्षेत्र में अल्पसंख्यकों के अधिक वोट हैं।