निर्धारित संख्या से अधिक मंत्री बनाए जाने के मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाते हुए टिप्पणी की कि यदि विधायकों को रैंक इतना ही पंसद है तो सभी को मुख्यमंत्री का रैंक क्यों
नहीं दे देते। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सरकार की अप्रोच से तो ऐसा लगता है कि उनका कोर्ट ने सरकार से कहा कि क्यों न वो सभी लॉ आफिसर को भी एडवोकेट जनरल का रैंक दे दे। हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा कि मुख्य सचेतक तो पार्टी द्वारा नियुक्त होता है तो ऐसे में उसे सुविधाएं किस आधार और कानून के तहत मुहैया करवाई जाती है। राजनीतिक नियंत्रण पद के लिए राज्य सरकार क्यों भुगतान कर रही है। हरियाणा सरकार अगली सुनवाई पर इस बारे में अपना पक्ष रखे। इस साथ ही हाईकोर्ट ने याची को इस मुद्दे पर पूरी तैयारी के साथ आने को कहा है।
मामले में दाखिल याचिका में एडवोकेट जगमोहन सिंह भट्टी ने कहा कि हरियाणा में कैबिनेट मंत्रियों की संख्या वर्तमान में 14 है। नियमों के मुताबिक हरियाणा में कुल विधायक की संख्या 90 के 15 फीसद 13.5 से अधिक मंत्री नहीं हो सकते। इसके बावजूद हरियाणा में एडवोकेट जनरल को कैबिनेट रैंक और विधायक ज्ञान चंद गुप्ता को राज्य मंत्री का दर्जा दे दिया गया। याची ने कहा कि विधायक को खुश करने के लिए ऐसे रैंक बांटें जाते हैं और उनको भुगतान जनता की गाढ़ी कमाई से किया जाता है। याची ने हाईकोर्ट से अपील करते हुए कहा कि तय संख्या से अधिक मंत्रियों को हटाया जाए। साथ ही याचिका लंबित रहते उनको मिलने वाले लाभ पर रोक लगाई जाए।
सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि पद और रैंक मामले में क्यों उलझा जा रहा है। एजी को कैबिनेट रैंक की जरूरत ही नहीं है क्योंकि व्यवस्था के लिहाज से यह उससे भी बड़ा पद है। ज्ञान चंद गुप्ता को मंत्री पद देकर सरकार ने संविधान के 91वें संशोधन का उल्लंघन किया है। जवाब में हरियाणा सरकार ने कहा कि ज्ञान चंद गुप्ता को केवल सुविधाएं दी गई हैं, मंत्री का दर्जा नहीं दिया गया है।
इस पर हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा कि आखिर किस कानूनी अधिकार से इन्हें सुविधाएं दी जा रही हैं। हरियाणा सरकार अगली सुनवाई पर इस बारे में विस्तारपूर्वक जवाब दाखिल करे। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने पूछा कि जब मंत्रियों की संख्या 15 फीसद से अधिक न होने की शर्त है और हरियाणा मामले में यह संख्या 13.5 बनती है तो 14 मंत्री क्यों बनाए गए?
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साभार: जागरण समाचार
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