हरियाणा ने शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी पहल करते हुए केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से तैयार की जा रही नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत देश के अन्य राज्यों की तुलना में अग्रणी स्थान बना लिया, जब मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने देशभर के शिक्षाविदों के समक्ष हरियाणा में अलग से शिक्षण विश्वविद्यालय, कौशल विकास विश्वविद्यालय और खेल विश्वविद्यालय खोलने की पेशकश की। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। मुख्यमंत्री खट्टर मंगलवार को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हरियाणा शिक्षा विभाग की ओर से सेक्टर-3 स्थित हरियाणा निवास में आयोजित दो दिवसीय समग्र शिक्षा-मुक्त विमर्श कार्यशाला के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में नैतिक मूल्यों का समावेश किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में कर्तव्य भाव है, जबकि पाश्चात्य संस्कृति में अधिकारों का भाव होता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा मात्र साधन न बने, इसमें विद्यार्थियों के लक्ष्य, प्रतिभा व कौशल का समावेश होना चाहिए। सभी शिक्षण संस्थानों को युवाओं के कौशल विकास की पहचान करनी होगी और उसकी मांग के अनुसार पाठ्यक्रम चलाने होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा में युवाओं को उनके पारंपरिक हुनर के अनुरूप रोजगारपरक बनाने के दृष्टिगत प्रदेश में कौशल विकास विश्वविद्यालय स्थापित करने की घोषणा पहले ही की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि हरियाणा के युवाओं का राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलों में योगदान को देखते हुए एक खेल विश्वविद्यालय स्थापित करने पर भी विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थाओं की मैपिंग भी की जा रही है ताकि संसाधन प्रबंधन सही हो और क्षेत्र विशेष की मांग के अनुरूप शैक्षणिक संस्थाएं खुलवाई जा सकें।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति निर्धारण पर हरियाणा शिक्षा विभाग द्वारा दो लाख से अधिक व्यक्तियों के फीडबैक व सुझाव ऑनलाइन केन्द्र सरकार को भेजे जा चुके हैं। मंगलवार को इस कार्यशाला को शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा, कृषि मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ के अलावा माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने भी संबोधित किया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं।
कार्यशाला में मुख्यमंत्री के विशेष प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, शिक्षा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा, उच्चतर शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विजय वर्धन, मुख्यमंत्री के ओएसडी कैप्टन भूपेंद्र के अलावा शिक्षा व तकनीकी विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों, शिक्षाविदों और शिकागो विश्वविद्यालय के चार शोधार्थियों ने भी हिस्सा लिया।
कार्यशाला में इन विषयों पर हुआ मंथन: कार्यशाला में दो दिन तक विद्यालय शिक्षा, कौशल विकास, तकनीकी शिक्षा और उच्चतर शिक्षा पर विभिन्न सत्रों में हुए विचार-विमर्श का निष्कर्ष भी प्रस्तुत किया गया। गीता निकेतन विद्यालय कुरुक्षेत्र के प्राचार्य डॉ. ऋषि गोयल ने विद्यालय शिक्षा पर, आईबीएम कंपनी के विशेषज्ञ राजेश नेहरू ने कौशल विकास एवं तकनीकी शिक्षा पर और नेता जी सुभाष चंद्र प्रौद्योगिक संस्थान नई दिल्ली के प्रो. योगेश सिंह ने उच्चतर शिक्षा पर चर्चा के महत्वपूर्ण पहलुओं व सुझावों की जानकारी दी।
चंडीगढ़। हरियाणा के शिक्षा मंत्री प्रो. राम बिलास शर्मा ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभालने के बाद भारत को विश्व में इसकी प्राचीन पहचान फिर से दिलाई है। शिक्षा के क्षेत्र में भारत को विश्व गुरु का दर्जा प्राप्त था, जो लुप्त हो गया था। अब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत इसे फिर से कायम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। शिक्षा मंत्री मंगलवार को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हरियाणा शिक्षा विभाग द्वारा सेक्टर-3 स्थित हरियाणा निवास में आयोजित की गई दो दिवसीय ‘समग्र शिक्षा मुक्त विमर्श’ कार्यशाला के समापन अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि बीते 15-20 वर्षों के दौरान शिक्षा के निजीकरण के कारण इसकी गुणवत्ता में कमी आई है। आज शिक्षक का सम्मान कम हो रहा है। उन्होंने कहा कि बच्चों को संस्कारवान व गुणवान बनाने के लिए स्कूली शिक्षा में योग व गीता व अन्य धार्मिक ग्रंथों की शिक्षाओं को स्कूली पाठ्यक्रमों में शामिल किया जा रहा है और आने वाले समय में सरकारी स्कूलों में एक संस्कार सक्षम वातावरण उपलब्ध होगा।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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