Tuesday, October 27, 2015

महिला केयरटेकर से छेड़छाड़ मामला: क्लास-IV कर्मचारी दे देती है छात्राओं को बाहर जाने की परमिशन

रोहतक की स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ परफार्मिंग एंड विजुअल आर्ट में महिला कर्मी के उत्पीड़न मामले में एक और बड़ा खुलासा हुआ है। यहां चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ही हॉस्टल में रहने वाली छात्राओं को बाहर जाने की छुट्टी दे देती है। कर्मचारी बाकायदा वार्डन की जगह पर अपने हस्ताक्षर भी कर देती है। दरअसल, यूनिवर्सिटी के गर्ल्स हॉस्टल से बाहर जाने के लिए वार्डन की अनुमति लेनी होती है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इसके बाद गेट पर सिक्योरिटी गार्ड एंट्री करता है। लेकिन स्टेट विवि में सबकुछ उल्टा पुल्टा है। प्रबंधन की नींद के कारण अब गर्ल्स हॉस्टल की छात्राओं की सुरक्षा पर भी सवाल उठा रहा है। ‘अमर उजाला’ के हाथ दो छात्राओं द्वारा छुट्टी के लिए दी गई एप्लीकेशन लगी है। इस एप्लीकेशन पर आवेदन के स्थान पर दोनों छात्राओं के तो हस्ताक्षर हैं, लेकिन एक छात्रा की एप्लीकेशन पर हॉस्टल वार्डन के पदनाम की जगह चतुर्थ श्रेणी महिला कर्मचारी के हस्ताक्षर हैं। दूसरी छात्रा की एप्लीकेशन पर इसी महिला कर्मचारी ने सिक्योरिटी गार्ड के पदनाम पर हस्ताक्षर कर रखे थे। जबकि यह महिला कर्मचारी न तो हॉस्टल वार्डन और न ही सिक्योरिटी गार्ड। अब यह समझ से परे हैं कि आखिर किस नियम के अनुसार हॉस्टल वार्डन और सिक्योरिटी गार्ड की जगह महिला कर्मचारी ने खुद हस्ताक्षर कर छात्राओं को छुट्टी दी। यदि यह भी मानें कि हॉस्टल वार्डन ने फोन पर बात कर उसे हस्ताक्षर करने के लिए कहा होगा तो भी नियम के अनुसार महिला कर्मचारी एप्लीकेशन पर उनके पदनाम के सामने हस्ताक्षर नहीं कर सकती। बताया तो यह भी जा रहा है कि यह मामला अधिकारियों के संज्ञान में भी है, लेकिन प्रबंधन चुप्पी साधकर बैठा है।
पीड़ित को बुलाया यूनिवर्सिटी, डाला समझौते का दबाव: यूनिवर्सिटी की महिला कर्मचारी के साथ हुए शारीरिक उत्पीड़न का मीडिया में खुलासा होते ही प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। आरोप है कि डीन और हॉस्टल वार्डन ने पीड़ित को सोमवार को दिन में कई बार फोन कर समझौते का दबाव डाला। यहां तक कि पीड़ित को यूनिवर्सिटी में भी बुलाकर कहा कि गया आपको नौकरी दे दी गई अब क्या दिक्कत आ रही है। इस मामले में समझौता कर लो। आधा घंटे तक महिला पर दबाव डाला गया, लेकिन पीड़ित ने समझौते से साफ इनकार कर दिया। देर शाम तक पीड़ित को दोबारा से यूनिवर्सिटी में बुलाने के लिए फोन किए गए। यहां तक कि महिला को ले जाने के लिए यूनिवर्सिटी की तरफ से एक व्यक्ति को गाड़ी देकर भी भेजा गया, लेकिन पीड़ित ने मना कर दिया। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभारअमर उजाला समाचार 
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