इंजीनियरिंग की पढ़ाई में खुद पर भरोसा करने वाले आगे निकल गए। आंकड़े बताते हैं कि जेईई एडवांस को पार पाकर आईआईटी में दाखिला लेने वाले छात्रों में इस साल कोचिंग संस्थानों के बच्चे पिछड़ गए। सेल्फ स्टडी वाले छात्रों ने ज्यादा सीटों पर कब्जा जमाया। आईआईटी बांबे की ओर से जारी की गई विश्लेषणात्मक जेईई रिपोर्ट-2015 में यह बात सामने आई है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इस साल सभी आईआईटी की कुल 9974 सीटों पर जेईई एडवांस से एडमिशन किए गए। इनमें से 4892 छात्र ऐसे थे, जिन्होंने दावा किया है कि उन्होंने मुश्किल परीक्षा की तैयारी सेल्फ स्टडी से की। दूसरे स्थान पर कोचिंग वाले छात्रों की संख्या है। 4757 छात्र ऐसे थे जिन्होंने कहीं कोचिंग करने के बाद जेईई एडवांस परीक्षा पास की। खास बात यह है कि इस साल 40 ऐसे भी छात्र सामने आए, जिन्होंने कोरेसपोंडेंस कोर्स से परीक्षा की तैयारी की थी। 112 अलग से ट्यूशन लेने वाले छात्रों को भी इस साल आईआईटी मेें दाखिला मिला है। एडमिशन लेने वालों में 75 प्रतिशत छात्र शहरी क्षेत्रों के और 25 प्रतिशत छात्र ग्रामीण क्षेत्रों के हैं। आईआईटी की ओर से हर साल आवेदन के दौरान छात्रों से जो डाटा लिया जाता है, उसके हिसाब से यह रिपोर्ट तैयार की जाती है।
ग्रेजुएट मां-बाप के बच्चों की संख्या ज्यादा: आईआईटी में दाखिला लेने वालों में ग्रेजुएट माता-पिता के बच्चों की संख्या सर्वाधिक है। ग्रेजुएट पिता के बच्चों की संख्या करीब 4200, ग्रेजुएट मां और पिता के बच्चों की संख्या करीब 3200 है। पोस्ट ग्रेजुएट पिता के बच्चों की संख्या करीब 2700 और पोस्ट ग्रेजुएट मां के बच्चों की संख्या करीब 2200 है। दाखिला लेने वालों में करीब 100 बच्चे ऐसे भी हैं, जिनके पिता अनपढ़ हैं और करीब 800 बच्चे ऐसे हैं, जिनकी मां अनपढ़ है।
उत्तराखंड से 82 बच्चे: आईआईटी के कुल 9974 दाखिलों में उत्तराखंड के 82 छात्र शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान से इस साल सर्वाधिक 1965 छात्रों को एडमिशन मिला। 1259 छात्रों के साथ यूपी दूसरे और 871 छात्रों के साथ महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर रहा। आईआईटी में एडमिशन देने के मामले में असम (61), हिमाचल प्रदेश (24) और जम्मू एंड कश्मीर (18) उत्तराखंड से नीचे रहे।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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