हरियाणा के पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता लागू करने पर अड़ी प्रदेश सरकार मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब देगी। कोर्ट ने सरकार से पढ़े लिखे लोगों के साथ-साथ ऐसे घरों के बारे में जानकारी मांग रखी है, जिनके घरों में शौचालय हैं। हरियाणा सरकार की ओर से अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी सुप्रीम कोर्ट में बहस करेंगे। प्रदेश के महाधिवक्ता बलदेव राज महाजन के जरिए सरकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा
मांगे गए सवालों का जवाब तैयार कर चुकी है, जिनकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट में देने के बाद याचिकाकर्ता के वकील विक्रम मित्तल से भी जवाब मांगा जा सकता है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर पंचायत चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों तथा पहले चरण के लिए नामांकन दाखिल कर चुके लोगों की निगाह टिकी हुई है। सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइंस सभी राज्यों के लिए दिशा निर्देश का काम करेगी। हरियाणा सरकार ने पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता लागू करने के साथ ही कर्ज रहित और घर में शौचालय होने की अनिवार्यता की है, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा चुकी है। हरियाणा पंचायती राज (संशोधन) कानून-2015 में बनाकर यह अनिवार्यता लागू की गई हैं। इन बदलाव के विरोध के चलते पंचायत चुनाव चार माह लेट हो गए, जिसके आगे बढ़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। वर्ष 2010 में पंचायत चुनाव के सभी चरण जुलाई 2010 तक संपन्न हो गए थे। इस बार सरकार ने 7 सितंबर 2015 को पंचायती राज संशोधन विधेयक विधानसभा में पारित किया। इसी दिन राज्यपाल ने मंजूर किया और अगले दिन 8 अक्टूबर को चुनाव घोषित हो गए। सरकार के इस निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है, जिस पर 27 अक्टूबर को सुनवाई होनी है। वहीं, पंचायत चुनाव नहीं होने के कारण लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है। सरपंच की सभी शक्तियां खत्म हैं। छोटे-छोटे कामों के लिए भी पंचायत सचिव के पास लोगों को जाना पड़ रहा है।
मांगे गए सवालों का जवाब तैयार कर चुकी है, जिनकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट में देने के बाद याचिकाकर्ता के वकील विक्रम मित्तल से भी जवाब मांगा जा सकता है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर पंचायत चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों तथा पहले चरण के लिए नामांकन दाखिल कर चुके लोगों की निगाह टिकी हुई है। सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइंस सभी राज्यों के लिए दिशा निर्देश का काम करेगी। हरियाणा सरकार ने पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता लागू करने के साथ ही कर्ज रहित और घर में शौचालय होने की अनिवार्यता की है, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा चुकी है। हरियाणा पंचायती राज (संशोधन) कानून-2015 में बनाकर यह अनिवार्यता लागू की गई हैं। इन बदलाव के विरोध के चलते पंचायत चुनाव चार माह लेट हो गए, जिसके आगे बढ़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। वर्ष 2010 में पंचायत चुनाव के सभी चरण जुलाई 2010 तक संपन्न हो गए थे। इस बार सरकार ने 7 सितंबर 2015 को पंचायती राज संशोधन विधेयक विधानसभा में पारित किया। इसी दिन राज्यपाल ने मंजूर किया और अगले दिन 8 अक्टूबर को चुनाव घोषित हो गए। सरकार के इस निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है, जिस पर 27 अक्टूबर को सुनवाई होनी है। वहीं, पंचायत चुनाव नहीं होने के कारण लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है। सरपंच की सभी शक्तियां खत्म हैं। छोटे-छोटे कामों के लिए भी पंचायत सचिव के पास लोगों को जाना पड़ रहा है।
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साभार: जागरण समाचार
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