Saturday, October 24, 2015

खट्टर सरकार बनाएगी बीपीएल के लिए दो लाख घर

हरियाणा सरकार बिल्डर्स और डेवलेपर्स के साथ-साथ किसानों पर मेहरबान हो गई है। करीब दो लाख सस्ते मकान बनाने का लक्ष्य लेकर चल रही सरकार ने बिल्डर्स को सिर्फ 25 एकड़ जमीन में कालोनी विकसित करने की इजाजत दे दी है। पिछली सरकार में 100 एकड़ से कम जमीन पर कालोनी नहीं विकसित की जा सकती थी। गुड़गांव, फरीदाबाद, सोनीपत और पंचकूला सरीखे जिलों में जमीनों के अधिक रेट होने के कारण बिल्डर एक
साथ किसी हाउसिंग प्रोजेक्ट के लिए कम से कम 100 एकड़ जमीन का बंदोबस्त नहीं कर पाते थे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। बिल्डर्स और डेवलेपर्स पर सरकार ने शिकंजा भी कसा है। अब उन्हें हर हाल में सात साल के भीतर हाउसिंग प्रोजेक्ट पूरे करने होंगे। हर दो साल बाद लाइसेंस का नवीनीकरण कराना होगा, ताकि सरकार को पता रहे कि बिल्डर का काम अभी कितना बाकी है। सरकार ने हाउसिंग लाइसेंस के लिए पहले आओ-पहले पाओ की नीति खत्म करते हुए नई समेकित लाइसेंसिंग नीति 2015 घोषित की है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने नीति की घोषणा करते हुए दावा किया कि इससे असंतुलित और अधूरे विकास को खत्म करने तथा 2022 तक सभी को सस्ते मकान बनाकर देने का लक्ष्य पूरा हो सकेगा।
मुख्यमंत्री के अनुसार नई लाइसेंसिंग पालिसी फिलहाल गुड़गांव-मानेसर, फरीदाबाद-बल्लभगढ़, सोहना, सोनीपत-कुंडली, पानीपत, पंचकूला-कालका तथा पिंजौर के लिए लागू होगी। इस नीति के तहत अवसंरचना विकास शुल्क (ईडीसी), लाइसेंस शुल्क और परिवर्तन शुल्क के रूप में अगले पांच से सात साल में सरकारी खजाने में करीब 60 हजार करोड़ रुपये का राजस्व आने का अनुमान है। इस राशि में करीब 20 हजार करोड़ रुपये ईडीसी की मद और 40 हजार करोड़ रुपये लाइसेंसिंग फीस आदि के रूप में हासिल होंगे। 1सरकार ने बिल्डर्स को राहत देते हुए आवासीय व वाणिज्यिक क्षेत्रों का फ्लोर एरिया रेश्यो (एफएआर) भी बढ़ाने का ऐलान किया है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के अनुसार सरकार गरीब लोगों के घर खुद बनाएगी। इसके लिए बिल्डर्स द्वारा सरकार को लाइसेंशशुदा जमीन का 12 प्रतिशत हिस्सा देना होगा, जिसमें सरकार खुद मकान बनाकर गरीबों को देगी।

  • नई पॉलिसी में भरेगा सरकार का खजाना, पांच से सात साल में 60 हजार करोड़ आएंगे
  • अब 100 के बजाय 25 एकड़ जमीन में भी विकसित की जा सकेगी नई आवासीय कालोनी
  • सात साल में करना होगा प्रोजेक्ट पूरा, हर दो साल बाद कराना होगा हाउसिंग लाइसेंस का नवीनीकरण
  • पहले आओ-पहले पाओ की नीति खत्म, किसानों की जमीनों का अनिवार्य अधिग्रहण नहीं
  • एफएआर में बढ़ोतरी, अधूरी और असंतुलित हाउसिंग परियोजनाओं को पूरा करने में मिलेगी मदद 

नई लाइसेंसिंग नीति के तहत सरकार किसानों की निजी जमीन का अनिवार्य अधिग्रहण नहीं करेगी। अब बिल्डर सीधे किसानों से बाजार भाव पर टुकड़ों में बंटी जमीनें भी खरीद सकेंगे। 25 एकड़ से कम भूमि वाले किसानों को राज्य सरकार हस्तांतरणीय विकास अधिकार पत्र (टीडीआर) देगी, जिसे बिल्डर को बेचा जा सकता है। जमीन के रेट किसान और बिल्डर के बीच ही तय होंगे। जमीन के छोटे टुकड़ों को बेचने-खरीदने की प्रक्रिया से सेक्टरों में सड़कों को 18 बाई 24 मीटर तक चौड़ा करने तथा छोटी आवासीय परियोजनाएं विकसित करने में मदद मिलेगी जिससे गरीबों को फायदा होगा। 
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साभारजागरण समाचार 
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