जो कार्य इन्सान नहीं कर पा रहा, वह तकनीक कर रही है। ग्रामीण युवकों ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया है जो स्कूल से बंक मारने वाले विद्यार्थियों पर पैनी नजर रखेगा। यह उन अभिभावकों को भी राहत देगा, जो बच्चों के स्कूल जाने और घर लौटने तक चिंतित रहते हैं। यह न केवल विद्यार्थियों की पल-पल की खबर देगा, बल्कि उनके होमवर्क, दूसरी जरूरी सूचनाओं व उनकी प्रोग्रेस रिपोर्ट भी पलक झपकते ही फोन व ईमेल आइडी
पर उपलब्ध कराएगा। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। राह ग्रुप के चेयरमैन नरेश सेलपाड़ ने बताया कि पहले चरण में यह साफ्टवेयर फरवरी-2016 से हिसार जिले के दो, फतेहाबाद के दो व भिवानी के एक स्कूल में लगाया जाएगा। इस तकनीक से जुड़ने वाले स्कूलों के विद्यार्थियों को एक इलेक्ट्रॉनिक्स आई कार्ड दिया जाएगा। जिसमें विद्यार्थी व अभिभावकों का पूर्ण विवरण दर्ज होगा।
ऐसे काम करेगी: स्कूली बस, प्रवेश द्वार, क्लास रुम व खेल के मैदान के लिए डिवाइसों के माध्यम से एक वायर लैस दायरा तय किया जाएगा। जिसकी सीमा में प्रवेश करने या उससे बाहर जाने की स्थिति में यह साफ्टवेयर स्वत: एक्टिवेट हो जाएगा और फीड नंबरों को संदेश भेज देगा।
दायरा तोड़ा तो सबको होगी खबर: यदि विद्यार्थी इस सॉफ्टवेयर तकनीक को झांसा देने के लिए मुख्य द्वार या अन्य दरवाजों की बजाय किसी दीवार को फांदने या खेल के मैदान से भागने या दूर जाने, स्कूल के तय दायरे से बाहर निकलते ही यह साफ्टवेयर अपने आप अलर्ट हो जाएगा और विद्यार्थी के क्लास इंचार्ज, प्राचार्य व उसके अभिभावकों को एसएमएस भेज देगा। स्कूल बसों में जीपीआरएस तकनीक से इस सॉफ्टवेयर को कनेक्ट किया जाएगा। जैसे ही विद्यार्थी बस में प्रवेश करेगा, उसका कार्ड एक्टिवेट हो जाएगा और परिजनों के फोन नंबर या ई-मेल पर संदेश चला जाएगा। स्कूल या कक्षा में प्रवेश करते ही एक के बाद एक संदेश अभिभावकों को मिल जाएंगे। स्कूल प्रबंधन को भी इसी कड़ी में ये एमएमएस मिलेंगे जिससे वे बस की लोकेशन के साथ ही इसमें मौजूद विद्यार्थियों का पूरा विवरण जान सकेंगे। कोई विद्यार्थी स्कूल से बाहर निकलता है तो उसके अभिभावकों को इसकी सूचना मिल जाएगी। साथ ही गलत बस में बैठने की भी तुरन्त पहचान होगी।
पर उपलब्ध कराएगा। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। राह ग्रुप के चेयरमैन नरेश सेलपाड़ ने बताया कि पहले चरण में यह साफ्टवेयर फरवरी-2016 से हिसार जिले के दो, फतेहाबाद के दो व भिवानी के एक स्कूल में लगाया जाएगा। इस तकनीक से जुड़ने वाले स्कूलों के विद्यार्थियों को एक इलेक्ट्रॉनिक्स आई कार्ड दिया जाएगा। जिसमें विद्यार्थी व अभिभावकों का पूर्ण विवरण दर्ज होगा।
ऐसे काम करेगी: स्कूली बस, प्रवेश द्वार, क्लास रुम व खेल के मैदान के लिए डिवाइसों के माध्यम से एक वायर लैस दायरा तय किया जाएगा। जिसकी सीमा में प्रवेश करने या उससे बाहर जाने की स्थिति में यह साफ्टवेयर स्वत: एक्टिवेट हो जाएगा और फीड नंबरों को संदेश भेज देगा।
दायरा तोड़ा तो सबको होगी खबर: यदि विद्यार्थी इस सॉफ्टवेयर तकनीक को झांसा देने के लिए मुख्य द्वार या अन्य दरवाजों की बजाय किसी दीवार को फांदने या खेल के मैदान से भागने या दूर जाने, स्कूल के तय दायरे से बाहर निकलते ही यह साफ्टवेयर अपने आप अलर्ट हो जाएगा और विद्यार्थी के क्लास इंचार्ज, प्राचार्य व उसके अभिभावकों को एसएमएस भेज देगा। स्कूल बसों में जीपीआरएस तकनीक से इस सॉफ्टवेयर को कनेक्ट किया जाएगा। जैसे ही विद्यार्थी बस में प्रवेश करेगा, उसका कार्ड एक्टिवेट हो जाएगा और परिजनों के फोन नंबर या ई-मेल पर संदेश चला जाएगा। स्कूल या कक्षा में प्रवेश करते ही एक के बाद एक संदेश अभिभावकों को मिल जाएंगे। स्कूल प्रबंधन को भी इसी कड़ी में ये एमएमएस मिलेंगे जिससे वे बस की लोकेशन के साथ ही इसमें मौजूद विद्यार्थियों का पूरा विवरण जान सकेंगे। कोई विद्यार्थी स्कूल से बाहर निकलता है तो उसके अभिभावकों को इसकी सूचना मिल जाएगी। साथ ही गलत बस में बैठने की भी तुरन्त पहचान होगी।
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साभार: जागरण समाचार
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