हरियाणा के चर्चित जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाले में दस साल की सजा काट रहे पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला को दिल्ली सरकार ने झटका दिया है। स्वास्थ्य को आधार बनाकर मांगी गई पैरोल दिल्ली सरकार ने देने से इनकार कर दिया है। गृहमंत्री सत्येंद्र जैन ने इस मामले में उपराज्यपाल को सख्त टिप्पणी के साथ फाइल वापस भेजी है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। क्योंकि उपराज्यपाल ने उम्र और 5 साल पार्टी अध्यक्ष होने का तर्क दिया था। गृहमंत्री ने उपराज्यपाल पर सवाल उठाते हुए लिखा है कि आप बताएं किन राजनीतिक दबाव में पैरोल देना चाहते हैं? साथ में अरविंद केजरीवाल ने गृह विभाग को पिछले कुछ सालों में दी गई पैरोल के आधार और तर्कों की जांच के आदेश दिए हैं। विशेष बात यह है कि अगस्त में दिल्ली सरकार ने हरियाणा सरकार से ओपी चौटाला को पंजाब के भटिंडा सेंट्रल जेल में शिफ्ट किए जाने को लेकर पंजाब सरकार से एनओसी मांगी थी, जो एनओसी पंजाब सरकार ने दे भी दी थी, लेकिन आगे दिल्ली सरकार का मन बदल गया।वहीं, राजनिवास ने साफ किया है कि ओपी चौटाला ने अपने चिकित्सा उपचार के लिए पैरोल का अनुरोध किया था। प्रधान सचिव गृह व गृहमंत्री ने उस आधार पर पैरोल की सिफारिश नहीं की क्योंकि अभियुक्त 4 अप्रैल से 5 मई, 2015 तक पैरोल पर था। फिर 28 मई तक इसे बढ़ा दिया गया था। उसके बाद 3 जून, 2015 को ओपी चौटाला ने आत्मसमर्पण कर दिया था। उपराज्यपाल ने चौटाला के पैरोल का आवेदन 5 अक्तूबर को इसलिए अस्वीकार किया क्योंकि पिछले पैरोल को अभी 6 महीने नहीं हुए थे जो आवश्यक प्रावधान हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। राजनिवास ने कहा है कि चौटाला के पैरोल को लेकर कोई नया आवेदन दोबारा अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है। साथ में यह भी स्पष्ट किया है कि गृह विभाग की तरफ से दिए गए तथ्यों के आधार पर उपराज्यपाल को पैरोल देने या अस्वीकार करने का अधिकार प्रशासक के नाते है।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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