Saturday, October 24, 2015

आचार्य की डिग्री होगी एमए संस्कृत के समकक्ष - शिक्षा मंत्री

गुरुकुलों से आचार्य की डिग्री प्राप्त करने वालों को एमए संस्कृत के बराबर मान्यता दी जाएगी। ये बातें प्रदेश के शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने कुंभा खेड़ा गुरुकुल में कही। वे यहां आयोजित कार्यक्रम में योगगुरु रामदेव को सम्मानित करने के बाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। शर्मा ने कहा कि भारत को पुन: विश्वगुरु बनाने के लिए गुरुकुल की शिक्षा अनिवार्य है। इसके लिए सभी का बराबर सहयोग मिल रहा है, यह खुशी की बात है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार योग व आयुर्वेद को बढ़ावा देने पर विशेष बल दे रही है। योग एवं व्यायामशाला नामक एक नया कार्यक्रम शुरू किया गया है। प्रदेश के सभी गांवों और शहरों में योगशालाएं स्थापित करने की योजना है। इस वर्ष प्रथम चरण में प्रदेश के 1050 गांवों में योगशालायें स्थापित की जा रही हैं। इस अवसर पर योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा कि योग दर्शन के लिए नहीं बल्कि प्रभु दर्शन व आत्म निरीक्षण के लिए है। हर व्यक्ति में निम चेतना, सामान्य चेतना और दिव्य चेतना होती है। दिव्य चेतना योग से ही आती है। उन्होंने कहा कि आप चाहे अपनी संतान को कितनी भी धन सम्पत्ति दे दो, लेकिन अगर उन्हें संस्कार व शिक्षा नहीं दिए तो, यह धन सम्पत्ति किसी काम नहीं आएगी। उन्होंेने कहा कि प्राचीन समय में देश में 7 लाख से ज्यादा गुरूकुल कार्यरत थे परन्तु अंग्रेजों के समय में इन गुरुकुलों को बंद कर दिया गया। आज आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ वैदिक शिक्षा समय की मांग है, जिन्हें गुरुकुल अथवा आचार्यकुलम के माध्यम से पूरा किया जा सकता है। 

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साभारजागरण समाचार 
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