सरदारों पर बनने वाले चुटकुले क्या सिख समुदाय की प्रतिष्ठा पर प्रहार नहीं है? क्या यह नागरिकों को मिलने वाले समानता के अधिकार का उल्लंघन नहीं है? सुप्रीम कोर्ट ने इस पर परीक्षण करने का निर्णय लिया है। न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस संबंध में महिला सिख वकील हरविंदर चौधरी की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई का निर्णय लिया है। याचिका में कहा गया है कि सिख और सरदारों पर बनने वाले चुटकुलों पर पाबंदी लगाई जाए। सरकार को यह निर्देश दिया जाए कि वह ऐसे चुटकुलों को वेबसाइट से हटाए। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। याचिका में कहा गया है कि इन चुटकुलों के जरिये यह प्रचारित किया जाता है कि सरदार समुदाय की समझ कम होती है। ऐसे में दूरसंचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को ऐसी वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। याचिकाकर्ता वकील ने शिकायत की कि इन चुटकुलों की वजह से उन्हें विदेश में अपमान सहना पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस तरह की शर्मिंदगी से बचने के लिए उनके बच्चे अपने नाम के पीछे सिंह या कौर नहीं लगाने चाहते। हालांकि, पीठ ने कहा कि बहुत सिख ऐसे हैं जिन्हें इस तरह के चुटकुलों पर कोई आपत्ति नहीं है। पीठ ने कहा कि हम ऐसे कई लोगों को जानते हैं जो ऐसे चुटकुलों को गंभीरता से नहीं लेते। पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप इस तरह के तमाम चुटकुलों पर पाबंदी चाहती हैं लेकिन हो सकता है कि सिख ही इसका विरोध करें।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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