साभार: जागरण समाचार
लोकसभा चुनाव नतीजों पर भाजपा के मौजूदा विधायकों का भविष्य टिका है। जिस विधानसभा क्षेत्र में पार्टी को उम्मीद के मुताबिक वोट नहीं मिले, उस विधायक का इस बार टिकट कटना तय है। विधानसभा चुनाव में भी
पार्टी जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए सिर्फ जिताऊ उम्मीदवारों पर दाव खेलेगी। इसके लिए उसे मौजूदा विधायकों के टिकट काटने से गुरेज नहीं होगा।
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सात सीटें जीती थी। रणनीतिकारों को उम्मीद है कि इस बार पार्टी मिशन-10 का लक्ष्य हासिल करेगी, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक दो से तीन सीटें कम दे रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम की पूरी लहर थी। इस बार भी लोगों ने हालांकि उम्मीदवारों को कम और मोदी के नाम पर अधिक वोट दिए हैं, लेकिन यदि भाजपा एक भी सीट में बढ़ोतरी करने में कामयाब हो जाती है तो इसे पार्टी के ग्राफ में बढ़ोतरी तथा केंद्र व राज्य सरकारों के काम के प्रति लोगों का समर्थन मानकर विधानसभा चुनाव में कूदा जाएगा। अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होंगे। सितंबर माह के अंत में राज्य में चुनाव आचार संहिता फिर से लग जाएगी। पार्टी और सरकार के पास काम करने के लिए मात्र चार माह का समय बचा है। इन चार माह में सरकार को खुद की परफारमेंस दिखाने के साथ ही लोगों का भरोसा भी जीतना होगा। लोकसभा चुनाव में पारदर्शिता के साथ दी गई सरकारी नौकरियां बड़ा मुद्दा बनी हैं। लिहाजा राज्य सरकार अपने चार माह के बाकी बचे कार्यकाल में बंपर भर्तियां करने वाली है। मुख्यमंत्री की लंबित घोषणाओं को पूरा करने के लिए भी सरकारी खजाने के द्वार खोले जा सकते हैं।
भाजपा विधायकों को मिलेगी चार माह की मोहलत: मुख्यमंत्री ने अगली रणनीति तैयार करने के लिए 21 मई को चंडीगढ़ में भाजपा विधायक दल की बैठक बुलाई है। इस बैठक में लोकसभा चुनाव के संभावित नतीजों पर चर्चा के साथ ही विधानसभा चुनाव की रणनीति तैयार होगी। विधायकों को उनके लंबित कार्यो की सूची देने तथा अधिक से अधिक समय फील्ड में रहने के निर्देश दिए जा सकते हैं। यह बैठक उन विधायकों के लिए भी चेतावनी होगी, जिनकी फील्ड में रिपोर्ट ठीक नहीं है। उन्हें अपनी कार्यशैली में सुधार के लिए चार माह का समय दिया जाएगा। इसके बाद पार्टी संगठन को उनकी टिकट बनाए रखने अथवा काटने का अधिकार रहेगा।
इनेलो के पास बचे नौ विधायक, फिर टूट के आसार: इनेलो बिखराव का शिकार है। 2014 में इनेलो के 19 विधायक जीतकर आए थे। शिरोमणि अकाली दल बादल के एकमात्र कालांवाली से विधायक बलकौर सिंह का साथ भी इनेलो को मिला हुआ था। अब बलकौर सिंह ने अभय सिंह चौटाला का साथ छोड़ दिया है। चार विधायक नैना सिंह चौटाला, राजदीप फौगाट, पृथ्वी सिंह नंबरदार और अनूप धानक ने जननायक जनता पार्टी को समर्थन दे दिया, जबकि नसीम अहमद, रणबीर गंगवा और केहर सिंह रावत इनेलो छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। दो विधायक जसविंद्र सिंह संधू और डा. हरिचंद मिड्ढा अब इस दुनिया में नहीं रहे। फरीदाबाबाद एनआइटी के विधायक नगेंद्र भड़ाना पहले दिन से भाजपा के साथ खड़े हुए हैं। लिहाजा इनेलो के पास अब मात्र नौ विधायक बचे हैं। इनमें से भी कई विधायक ऐसे हैं, जिन्हें इनेलो में अपना राजनीतिक भविष्य सुरक्षित नजर नहीं आ रहा है। कई विधायक भाजपा के संपर्क में हैं। लिहाजा अक्टूबर तक इनेलो एक बार फिर टूट का शिकार हो सकता है।