रोहतक के छोटूराम कॉलेज ऑफ लॉ में मदवि की टीम ने कुछ दिन पूर्व निरीक्षण किया था, जिसमें खामियां ही खामियां उजागर हुई थीं। अब निरीक्षण टीम ने एक नोटिस जारी करके कहा है कि क्यों न छोटूराम कॉलेज के लॉ की मान्यता को रद कर दिया जाए। वहीं एलएलएम कोर्स को 2015-16 से बंद करने के आदेश जारी कर दिए है। मदवि की निरीक्षण टीम ने कहा कि उनकी टीम ने 28 सितंबर 2015 को छोटूराम कॉलेज का निरीक्षण किया
था। इसमें पाया गया कि यहां पर न तो एलएलबी पढ़ाने के लिए काबिल प्रोफेसर और न ही संयुक्त प्रोफेसर हैं। यहीं नहीं यहां पर निदेशक भी नहीं है। इसलिए एलएलबी की मान्यता को रद कर दिया जाए। इसके अलावा निरीक्षण टीम ने नोटिस में कहा है कि एलएलएम कोर्स को बंद करने के निर्देश दिए हैं। बता दें कि इसी तरह से मातूराम इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एवं मैनेजमेंट के बारे में भी नोटिस जारी किया गया था। इस संस्थान में भी न तो काबिल निदेशक है और न ही स्टाफ। इस चेतावनी के चलते 2012-13 व 2013-14 में सीटें आधी कर दी गई थी। हालांकि बाद में इंस्टीट्यूट की मांग पर इन्हें दोबारा बढ़ा दिया गया था। इस शर्त पर यह सीटें बढ़ाई गई थीं कि वह अपनी कमियों को पूरा कर लेंगे, लेकिन अभी तक भी इस इंस्टीट्यूट की कमियां पूरी नहीं हुई है। इंजीनियरिंग कॉलेज के निदेशक अभी तक मदवि से टीचर अप्रुव्ड भी नहीं है जिस कारण एमआरएम की साख खराब हो रही है। वर्तमान में निदेशक अप्लाइड साइंस (फिजिक्स) विषय से हैं। जिसकी वजह से इतनी बढ़िया नाम व स्थान होते हुए भी वर्तमान में संस्थान की 70 फीसदी सीटें खाली पड़ी हैं। जब दोनों संस्थानों की मान्यता रद होने की चेतावनी मिलने के पीछे पिछली मैनेजमेंट द्वारा किए गए गलत कार्यों का नतीजा है, जिसका खामियाजा आने वाले समय में छात्रों को भुगतना पड़ सकता है। पिछली कार्यकारिणी ने अपने नजदीकियों व रिश्तेदारों को नौकरियां देने के अलावा संस्था हित में कुछ भी नहीं किया है। इसी तरह से मदवि के पूर्व प्रोफेसर व सीआर कॉलेज ऑफ लॉ के पूर्व निदेशक श्री सीपी श्योराण को भी गलत तरीके से हटाया गया क्योंकि पूर्व मैनेजमेंट ने उनसे दबाव में गलत नौकरियां लगवाना चाहते थे। जिसका उन्होंने विरोध किया, जिस वजह से निदेशक सीपी श्योराण को रिलीव कर दिया गया और इसी वजह से आज छोटूराम कॉलेज ऑफ लॉ को यह नोटिस ङोलना पड़ रहा है। अगर समय रहते संस्थाओं के वर्तमान प्रशासक व उपायुक्त अगर समय रहते नहीं जागे तो वैश्य संस्थाओं की तरह ही जाट शिक्षण संस्थाओं को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। इस पर चंचल नांदल एडवोकेट ने बताया कि पूर्व कार्यकारिणी ने जो गलतियां की हैं। उन गलतियों को संज्ञान में लेते हुए प्रशासक को तुरन्त कार्रवाई करनी चाहिये ताकि इन दोनों महत्वपूर्ण संस्थानों की मान्यताओं को बचाया जा सके।
था। इसमें पाया गया कि यहां पर न तो एलएलबी पढ़ाने के लिए काबिल प्रोफेसर और न ही संयुक्त प्रोफेसर हैं। यहीं नहीं यहां पर निदेशक भी नहीं है। इसलिए एलएलबी की मान्यता को रद कर दिया जाए। इसके अलावा निरीक्षण टीम ने नोटिस में कहा है कि एलएलएम कोर्स को बंद करने के निर्देश दिए हैं। बता दें कि इसी तरह से मातूराम इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एवं मैनेजमेंट के बारे में भी नोटिस जारी किया गया था। इस संस्थान में भी न तो काबिल निदेशक है और न ही स्टाफ। इस चेतावनी के चलते 2012-13 व 2013-14 में सीटें आधी कर दी गई थी। हालांकि बाद में इंस्टीट्यूट की मांग पर इन्हें दोबारा बढ़ा दिया गया था। इस शर्त पर यह सीटें बढ़ाई गई थीं कि वह अपनी कमियों को पूरा कर लेंगे, लेकिन अभी तक भी इस इंस्टीट्यूट की कमियां पूरी नहीं हुई है। इंजीनियरिंग कॉलेज के निदेशक अभी तक मदवि से टीचर अप्रुव्ड भी नहीं है जिस कारण एमआरएम की साख खराब हो रही है। वर्तमान में निदेशक अप्लाइड साइंस (फिजिक्स) विषय से हैं। जिसकी वजह से इतनी बढ़िया नाम व स्थान होते हुए भी वर्तमान में संस्थान की 70 फीसदी सीटें खाली पड़ी हैं। जब दोनों संस्थानों की मान्यता रद होने की चेतावनी मिलने के पीछे पिछली मैनेजमेंट द्वारा किए गए गलत कार्यों का नतीजा है, जिसका खामियाजा आने वाले समय में छात्रों को भुगतना पड़ सकता है। पिछली कार्यकारिणी ने अपने नजदीकियों व रिश्तेदारों को नौकरियां देने के अलावा संस्था हित में कुछ भी नहीं किया है। इसी तरह से मदवि के पूर्व प्रोफेसर व सीआर कॉलेज ऑफ लॉ के पूर्व निदेशक श्री सीपी श्योराण को भी गलत तरीके से हटाया गया क्योंकि पूर्व मैनेजमेंट ने उनसे दबाव में गलत नौकरियां लगवाना चाहते थे। जिसका उन्होंने विरोध किया, जिस वजह से निदेशक सीपी श्योराण को रिलीव कर दिया गया और इसी वजह से आज छोटूराम कॉलेज ऑफ लॉ को यह नोटिस ङोलना पड़ रहा है। अगर समय रहते संस्थाओं के वर्तमान प्रशासक व उपायुक्त अगर समय रहते नहीं जागे तो वैश्य संस्थाओं की तरह ही जाट शिक्षण संस्थाओं को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। इस पर चंचल नांदल एडवोकेट ने बताया कि पूर्व कार्यकारिणी ने जो गलतियां की हैं। उन गलतियों को संज्ञान में लेते हुए प्रशासक को तुरन्त कार्रवाई करनी चाहिये ताकि इन दोनों महत्वपूर्ण संस्थानों की मान्यताओं को बचाया जा सके।
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साभार: जागरण समाचार
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