पहले नोटबंदी और अब जीएसटी। आर्थिक सुधार के इन दोनों कदमों के साझा नतीजे के तौर पर करदाताओं के आधार में तेजी बढ़ोतरी नजर आएगी। जीएसटी लागू होने से ठीक पहले से अभी तक राज्य स्तरीय कर
प्रशासकों को काफी सुखद संकेत मिले हैं। कई राज्यों में पहली बार कर देने के लिए पंजीकरण करवाने वाले कारोबारियों की संख्या पहले कुछ दिनों के दौरान ही कई हजार में रही है। वित्त मंत्रलय के सूत्रों का कहना है कि पंजीयन कराने वालों की संख्या निश्चित तौर पर महाराष्ट् व गुजरात में ज्यादा है। मगर बंगाल, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से भी काफी सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। मंत्रलय के अधिकारियों के मुताबिक देश में तमाम अप्रत्यक्ष कर भुगतान करने वाले कारोबारियों या इकाइयों की संख्या 80 लाख है। जबकि हाल का एक अध्ययन बताता है कि देश में व्यक्तिगत स्तर पर या संस्थागत तौर पर हर तरह का कारोबार करने वालों की संख्या 2.5 करोड़ के करीब हो सकती है। इनमें से कुछ बहुत ही छोटे आकार के हैं। अधिकांश ऐसे हैं जिनके कर दायरे में लाने से फिलहाल कोई फायदा भी नहीं है। मोटे तौर पर अनुमान है कि अगले एक वर्ष के भीतर जीएसटी के दायरे में आने वाले मौजूदा असेसी की संख्या 80 लाख से बढ़कर एक करोड़ हो जाएगी। लेकिन मंशा यही है कि कुछ वर्षो में सड़क किनारे छोटी दुकान लगाने वाले और असंगठित क्षेत्र के हर कारोबारी के पास अपना जीएसटी रजिस्ट्रेशन नंबर हो। इसमें आधार नंबर भी काम आएगा।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: जागरण समाचार
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.