कूटनीति में अक्सर यह होता है जब दो देशों की सरकारों के प्रतिनिधियों के बीच लगातार मुलाकात होती है और उनके बीच केमिस्ट्री बनती है तो इसका असर उन देशों के रिश्तों पर भी पड़ता है। लेकिन भारत और चीन
फिलहाल अपवाद नजर आते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच पिछले तीन वर्षो में तकरीबन एक दर्जन बार बैठक होने के बावजूद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सिक्किम में सीमा के नजदीक चीन के सड़क बनाने और चीनी सेना के भारतीय बंकरों को नष्ट करने से इसमें और इजाफा हुआ है। ऐसे में दोनों नेताओं के बीच फिर इस हफ्ते मुलाकात के आसार हैं लेकिन कूटनीतिक जानकार उससे बहुत उम्मीद नहीं लगा रहे। मोदी और चिनफिंग जी-20 देशों की बैठक में शामिल होने के लिए सात जुलाई को हैमबर्ग (जर्मनी) पहुंच रहे हैं। बहुत संभव है कि दोनों नेताओं के बीच औपचारिक या अनौपचारिक तौर पर वहां बातचीत हो। इसके अलावा दोनों नेताओं के बीच शीघ्र ही चीन में ब्रिक्स के शीर्ष नेताओं की बैठक में भी द्विपक्षीय वार्ता होना तय है। विदेश मंत्रलय के सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी अगर किसी विश्व नेता से सबसे ज्यादा बार मिले हैं तो वह चीन के राष्ट्रपति चिनफिंग हैं। मोदी और चिनफिंग के बीच तीन वर्षो में तकरीबन बार मुलाकात हो चुकी है। कुछ हफ्ते पहले ही दोनों ने बहुत ही अच्छे माहौल में अस्ताना में मुलाकात की थी। लेकिन इसके बावजूद आपसी रिश्तों में तल्खी बढ़ती गई है।पिछले दो वर्षो से चीन भारत के हितों को लेकर अड़ंगा डालने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा। दो वर्ष पहले संयुक्त राष्ट्र में जैश-ए-मुहम्मद के आतंकी मौलाना मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव का विरोध कर जो शुरुआत चीन ने की थी वह अब सिक्किम से जुड़े भारतीय क्षेत्र पर दावा करने तक आ चुका है। ऐसे में मोदी और चिनफिंग के बीच एक और मुलाकात से कोई खास उम्मीद नहीं की जानी चाहिए।
जहां तक जी-20 देशों की बैठक में मुलाकात का सवाल है तो सूत्रों का कहना है कि अभी तक दोनों देशों की तरफ से मुलाकात का प्रस्ताव नहीं आया है लेकिन वहां बैठक इस तरह से चलती है कि हर देश के नेता की दूसरे से कई बार मुलाकात हो जाती है। इसलिए कई बार तैयारी नहीं होने के बावजूद नेता जब एक दूसरे से मिलते हैं तो वह आधिकारिक बैठक का रूप ले लेता है। इसलिए मोदी और चिनफिंग के बीच आधिकारिक तौर पर मुलाकात की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता।
भारत ने डोका ला में और सैनिक भेजे: भारत ने सिक्किम के पास के इलाके में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए और ज्यादा सैनिकों को भेजा है। इस क्षेत्र में करीब एक महीने से भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध चल रहा है। यह दोनों सेनाओं के बीच 1962 के बाद से सबसे लंबा गतिरोध है। सूत्रों के मुताबिक, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के दो भारतीय बंकरों को नष्ट करने और आक्रामक रुख अपनाने के बाद भारत ने डोका ला इलाके में और अधिक सैनिकों को गैर लड़ाकू मोड में तैनात किया है। गैर लड़ाकू मोड में बंदूकों की नाल को जमीन की ओर रखा जाता है। पीएलए के 141 डिवीजन से सैनिक वहां भेजने के बाद भारतीय सेना ने भी अपनी स्थिति को मजबूत किया। इससे पहले भारत और चीन की सेना के बीच 2013 में जम्मू-कश्मीर के लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी में सबसे लंबी गतिरोध की स्थिति बनी थी जो 21 दिनों तक चली थी।
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साभार: जागरण समाचार
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