हरियाणा प्रदेश के कर्मचारियों को भले ही सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर वेतनमान देने का दावा किया जा रहा है, लेकिन हकीकत में उन्हें छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर भी वेतन नहीं मिल रहा। इसके अलावा वेतन विसंगतियां भी अभी तक दूर हो पाई हैं। ऐसे में सातवें आयोग की सिफारिशें लागू
करने से पहले पिछली वेतन विसंगतियां दूर करने को लेकर सरकार और कर्मचारियों में किसी भी समय टकराव संभव है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। प्रदेश में करीब ढाई लाख कर्मचारी हैं। इनमें से दो लाख ही सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के लाभ के दायरे में आते हैं। राज्य सरकार ने अपने 2016-17 के 31,600 करोड़ के प्लान बजट में सातवें वेतन आयोग की मद में करीब 4 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। हालांकि सरकार ने आने वाले खर्च का अभी आकलन नहीं किया है, लेकिन माना जा रहा कि इससे सरकारी खजाने पर हर साल 1500 से 2000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।
छठा वेतन आयोग फरवरी 2006 से लागू है। छठे आयोग के आधार पर केंद्रीय कर्मचारियों का पे-बैंड (द्वितीय) 4200 रुपये है, लेकिन हरियाणा में पहले 3200 रुपये मिलते थे, जो पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा जाते-जाते 3600 रुपये कर गए। यानि पिछली सरकार के समय से ही 600 रुपये कम मिल रहे हैं। चतुर्थ श्रेणी के केंद्रीय कर्मचारियों का ग्रेड पे 1800 रुपये है, जबकि हरियाणा के कर्मचारियों को 1650 रुपये मिलते हैं। छठे वेतन आयोग में शहरी क्षतिपूर्ति भत्ता (बेसिक पे का डेढ़ फीसदी) बंद कर यात्र भत्ता (1500 रुपये) शुरू करने का प्रावधान किया गया था। मगर शहरी क्षतिपूर्ति भत्ता तो बंद कर दिया गया, लेकिन यात्र भत्ते के पैसे नहीं मिल रहे हैं। पे-बैंड (प्रथम) के केंद्र व राज्य कर्मचारियों के वेतन में भी खासा अंतर है। राज्य सरकार यदि सातवां वेतन आयोग लागू करती है तो मासिक वेतन में 14.29 फीसदी की बढ़ोतरी संभव है, लेकिन तकरार इस बात को लेकर खड़ी हो सकती है कि बढ़ोतरी किस वेतन पर लागू मानी जाएगी।
सरकार ने छठे वेतन आयोग की सिफारिशें पूरी तरह लागू नहीं की। पंजाब के समान वेतनमान लागू करने का वादा भी नहीं निभाया। कर्मचारियों की वेतन विसंगतियां दूर करने के लिए जी माधवन आयोग की सिफारिशें आने के बाद उसे ठंडे बस्ते में डाल रखा है। पांचवें व छठे वेतन आयोग में 40-40 फीसदी वेतन बढ़ा था। यह पहला मौका है, जब मात्र 15 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है, लेकिन उसका तरीका क्या होगा, यह अभी तय नहीं है। प्रति व्यक्ति आय में हरियाणा अन्य राज्यों से कहीं बेहतर है तो बढ़ोतरी कम से कम 40 फीसदी होनी चाहिए। सरकार साथ ही पिछली विसंगतियां दूर कराए।
- सुभाष लांबा, महासचिव सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा
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साभार: जागरण समाचार
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