Sunday, July 24, 2016

लाइफ मैनेजमेंट: आलोचनाओं को देखने के कुछ तरीके जो, ले जाते हैं तरक्की की ओर

अरस्तु नेकहा है कि आलोचनाओं को आसानी से दरकिनार नहीं किया जा सकता। ही यह संभव है कि इनके बारे में कुछ कहा जाए और कुछ किया जाए। आलोचनाएं जीवन का हिस्सा होती हैं। कई बार लोगों को आलोचनाएं और उनकी कमियां बताया जाना पसंद नहीं आता। लेकिन असल बात तो यह है कि दूसरे ही हमारी कमियों के
बारे में बेहतर बता सकते हैं। इसलिए फीडबैक लेना बहुत जरूरी होता है। ये बात भी समझना चाहिए कि आलोचना हमेशा अपमान नहीं होती। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। यह किसी का नजरिया और आकलन भी हो सकता है। इसलिए जब किसी की आलोचना का सामना करना पड़े तो सम्मानजनक जवाब दिया जाना चाहिए। आलोचनाएं बेहतरी की ओर ही ले जाती हैं। अगर गंभीरता से फीडबैक मांगा जाए तो आलोचना करने वाले उस बारे में स्पेसिफिक जवाब दे सकते हैं कि क्या गलत हो रहा है। या क्या कमी रह गई है, ताकि उसे ठीक किया जा सके। आलोचना करने वाले से सलाह भी ली जा सकती है कि कैसे समस्या का समाधान किया जाए। लेकिन जिस व्यक्ति से फीडबैक और सुधार के लिए सलाह ले रहे हैं बाद में उन्हें यह बताना भी जरूरी है कि किस तरह सुधार किया गया। और फीडबैक कितना उपयोगी रहा। ताकि यह एक नियमित प्रक्रिया का रूप ले सके। असल में तो आलोचनाएं इंसान को आगे ले जाने का जरिया ही होती हैं। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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