Wednesday, July 27, 2016

134A: दाखिलों के लिए भुगतान न करने के मामले में हरियाणा सरकार को नोटिस जारी

निजीस्कूलों द्वारा नौवीं से बाहरवीं कक्षा में गरीब बच्चों को दिए गए निशुल्क प्रवेश की एवज में सरकार द्वारा रिबंर्समेंट करने के मामले में दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार के शिक्षा विभाग के सचिव और निदेशक को 16 सितंबर के लिए नोटिस जारी किया है। हरियाणा
युनाइटेड स्कूल एसोसिएशन की ओर से याचिका दाखिल करते हुए कहा गया कि हरियाणा सरकार ने आठवीं कक्षा तक के छात्रों को फ्री में पढ़ाने और इसकी एवज में स्कूलों को भुगतान करने के लिए प्रावधान किया है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। बड़ी समस्या है कि नौवीं से बारहवीं कक्षा तक बच्चों को अन एडिड प्राईवेट स्कूलों में निशुल्क पढ़ाया जा रहा है। इसकी एवज में संबंधित गैर अनुदान प्राप्त स्कूल के लिए विभाग द्वारा कोई रिंबर्समेंट तय नहीं किया गया है। याचिकाकर्ता ने कहा कि इन छात्रों को प्रवेश देने और उनकी पढ़ाई पर स्कूलों का खर्च आता है और ऐसे में इस खर्च का भुगतान सरकार को करना चाहिए। याचिका में शिक्षा विभाग से आरटीआई के तहत मिली जानकारी का भी हवाला दिया गया और कहा गया कि सरकार ने खुद माना है कि भुगतान नहीं हो रहा है। याचिका में मांग की गई कि सरकार का शिक्षा विभाग नियम 134 के तहत अपनी रिबंर्समेंट पालिसी में सुधार करे। इन सुधारों के तहत केवल आठवीं तक, बल्कि 12वीं तक की बाकी कक्षाओं के छात्रों को दिए गए प्रवेश के लिए रिबंर्समेंट का प्रावधान किया जाए। 
उल्लेखनीय है कि शिक्षा नियम 134ए के तहत सरकार, कोर्ट के आदेशाें के बावजूद प्रदेशभर के कुछ निजी स्कूल दूसरी से 8वीं कक्षा के छात्रों को दाखिला देने को तैयार नहीं है। कई जिलों में अब भी छात्रों और अभिभावकों को दाखिले के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। दूसरी ओर स्कूल अपनी मांगों पर अड़े हैं। 
प्राइवेटस्कूल संघ के प्रदेशाध्यक्ष सत्यवान कुंडू ने कहा है कि शिक्षा विभाग ने संघ के साथ जो समझौता किया था उसे अभी तक लागू नहीं किया। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि 20 अगस्त तक अपने किए गए वादे अनुसार सहमति वाली मांगों का पत्र जारी नहीं हुआ तो स्कूल संचालकों को मजबूरन आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा। सत्यवान कुंडू ने बताया कि सरकार उच्चाधिकारियों के साथ कई दौर की बैठकों में कुछ मांगों पर सहमति बनी थी, लेकिन इनपर अभी तक पत्र जारी नहीं किया गया है। इससे साफ तौर पर जाहिर होता है कि सरकार प्राइवेट स्कूल संचालकों के साथ वादाखिलाफी कर रही है।
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साभार: भास्कर समाचार 
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