विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने पीएचडी व एमफिल के लिए नई गाइडलाइन जारी कर दी है। सभी विश्वविद्यालयों को भेजी गई नई गाइडलाइन में स्पष्ट कहा गया है कि अब पीएचडी दो साल की बजाय कम से कम तीन साल की होगी। इसी पत्र में महिला व 40 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग को भी एमफिल में एक वर्ष व
पीएचडी में दो वर्ष अधिक देने का प्रावधान किया गया है। पहली बार यूजीसी ने शोधार्थी को विश्वविद्यालय बदलने की छूट दी है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। पीएचडी और एमफिल में महिला शोधार्थी की शादी या अन्य किसी कारण से डाटा दूसरी यूनिवर्सिटी में ट्रांसफर किया जा सकेगा। मगर वहां भी सभी शर्ते व नियम एक समान रहेंगे।
प्रोफेसर करवा सकेंगे तीन एमफिल व आठ पीएचडी: यूजीसी के सचिव जसपाल एस संधू ने स्पष्ट कहा है कि अब एक प्रोफेसर के अधीनस्थ तीन एमफिल और आठ पीएचडी की जा सकती है। एसोसिएट प्रोफेसर के अधीन दो एमफिल व छह पीएचडी की जा सकेगी। असिस्टेंट प्रोफेसर के अधीन एक एमफिल व चार पीएचडी हो सकेगी। पूर्व में यह नियम सभी के लिए एमफिल में पांच और पीएचडी में आठ शोधार्थियों का गाइड बनने का होता था। यूजीसी ने इंटरनल सुपरवाइजर के मूल्यांकन को भी शामिल कर लिया है, जबकि पूर्व में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं था। अनुदान आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि डिस्टेंस से एमफिल और पीएचडी नहीं की जा सकेगी।
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साभार: जागरण समाचार
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