डॉक्टर बनने के लिए अब न सिर्फ प्रवेश परीक्षा देनी होगी, बल्कि एक ‘एग्जिट एग्जाम’ भी देना होगा। मेडिकल की डिग्री लेने के बाद छात्रों को यह परीक्षा देनी होगी और इसे पास करने के बाद ही वे डॉक्टर बन सकेंगे। मेडिकल के जो छात्र इस परीक्षा में पास नहीं होंगे वे डॉक्टर नहीं बन पाएंगे। सूत्रों के मुताबिक, सरकार मेडिकल
की पढ़ाई की मौजूदा व्यवस्था में व्यापक बदलाव की रणनीति के तहत यह नई व्यवस्था अपनाने पर विचार कर रही है। मेडिकल की पढ़ाई के संबंध में नियामक तंत्र सुझाने के लिए सरकार ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पानागढ़िया की अध्यक्षता में समिति गठित की है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। यह समिति ‘एग्जिट एग्जाम’ अनिवार्य बनाने की सिफारिश कर सकती है। फिलहाल रूस सहित कुछ देशों से मेडिकल की डिग्री लेकर आने वाले छात्रों को भारत में डॉक्टर बनने के लिए कुछ इसी तरह की परीक्षा देनी पड़ती है। सूत्रों ने कहा कि देश में मेडिकल की पढ़ाई की गुणवत्ता बेहतर रखने के इरादे से समिति ‘एग्जिट एग्जाम’ कराने की सिफारिश कर सकती है। समिति ने अपनी रिपोर्ट के मसौदे को अंतिम रूप दे दिया है। माना जा रहा है कि पानागढ़िया इस हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मेडिकल की पढ़ाई के लिए प्रस्तावित तंत्र के बारे में जानकारी दे सकते हैं। सूत्रों ने कहा कि समिति भारत में मेडिकल की पढ़ाई के नियमन के संबंध में आमूलचूल परिवर्तन की सिफारिश करने जा रही है। समिति मौजूदा मेडिकल काउंसिल (एमसीआइ) को खत्म कर उसकी जगह एक राष्ट्रीय मेडिकल आयोग का गठन करने की सिफारिश करने जा रही है। उल्लेखनीय है कि दैनिक जागरण ने 24 जून को सबसे पहले यह खबर दी थी कि सरकार मेडिकल काउंसिल को खत्म कर मेडिकल की शिक्षा के लिए एक आयोग बनाने की तैयारी कर रही है।
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साभार: जागरण समाचार
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