शिक्षा विभाग द्वारा बार-बार नए नियम लागू करने से अध्यापक परेशान हैं। अब अध्यापकों को कहा गया है कि अगर स्कूल में इंटरनेट नहीं है तो वे कैफे में जाकर सारी जानकारी इंटरनेट पर डालें। शिक्षा विभाग द्वारा जारी किये गए आदेश से अध्यापक वर्ग में रोष है। कई अध्यापक संगठनों ने इस आदेश का विरोध किया है। अध्यापकों का कहना है कि पहले डाक व्यक्ति के हाथ में आती थी। लेकिन अब केवल इंटरनेट पर डाल दी जाती है। स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा न होने के कारण अध्यापकों को परेशानी उठानी पड़ रही है। वहीं अपनी जेब से रुपये खर्च करके कैफे में जाकर डाटा को ऑनलाइन करना पड़ रहा है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं।एक तरफ सरकार डिजिटल इंडिया के तहत लोगों को जागरूक कर रही है। लेकिन दूसरी तरफ अब भी सरकारी स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा नहीं है। ऐसे में अध्यापक कैसे डाटा को ऑनलाइन करेंगे। शिक्षा विभाग ने आदेश दिया है कि हर काम इंटरनेट पर ऑनलाइन हो ताकि कोई गड़बड़ी न हो। स्कूलों में कंप्यूटर तो है लेकिन बिजली न होने के कारण बंद पड़े है। जिस स्कूल में जनरेटर की सुविधा है तो वहां पर कंप्यूटर ऑपरेटर भी नहीं है। ऐसे में अध्यापक कैसे अपने स्कूल का डाटा ऑनलाइन कर सकते है? स्कूल में नेट व कंप्यूटर की सुविधा नहीं है तो डाटा ऑनलाइन कैसे होंगे।
संगठनों ने जताई आपत्ति: अध्यापक संगठनों ने शिक्षा विभाग द्वारा जारी किये गये फरमान पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि शिक्षा विभाग अपनी खाल बचाने के लिए अध्यापकों को निशाना बना रही है। जब स्कूल का रिजल्ट खराब आता है तो उसका तबादला कर दिया जाता है। अध्यापकों के पास बच्चों को पढ़ाने के लिए समय तक नहीं मिलता। उनके पास सरकारी कामकाज के अलावा डाटा ऑनलाइन में भी समय लग जाता है। इसलिए अध्यापक शिक्षा विभाग के इस फरमान को नहीं मानेंगे। अगर विभाग उनपर कार्रवाई करेगा तो संघ भी चुप नहीं बैठेगा।
अध्यापक कैफे पर सरकारी विद्यालयों का कार्य नहीं करेंगे। शिक्षा विभाग की हर डाक अब व्हाट्सअप पर भेजी जाती है। शिक्षा सुधार के लिए कैंपों का आयोजन किया गया है लेकिन इसकी भी सूचना व्हाट्सअप पर भेजी जा रही है। सरकार ने प्राइमरी विद्यालयों में आज तक एक भी कंप्यूटर, वाई-फाई, ¨पट्रर व कंप्यूटर आप्रेटर उपलब्ध नहीं करवाया है। -कृष्ण नैन, सचिव हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ।
स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा नहीं है। शिक्षा विभाग का हर पत्र ईमेल पर डाल दिया जाता है। उन्हें मजबूरीवश कैफे में जाकर पत्र निकलवाना पड़ता है। कई बार तो सूचना न मिलने के कारण अनेक कार्यक्रम रद करने पड़ते हैं। अगर सरकार शिक्षा विभाग को ऑनलाइन करना चाहती है तो सबसे पहले स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध करवाये ताकि अध्यापकों को परेशानी न हो। -विकास टूटेजा, प्रधान राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ।
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साभार: जागरण समाचार
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