सोनीपत अब प्रदेश में इंजीनियरिंग शिक्षा का सबसे बड़ा हब बनने जा रहा है। सरकार ने सोनीपत के दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल के हवाले सात जिलों के 106 इंजीनियरिंग कॉलेज कर दिए हैं, जिससे सोनीपत से लेकर अम्बाला तक के इंजीनियरिंग संस्थानों में दाखिले से लेकर परीक्षा समेत
सभी में छोटूराम विवि की भूमिका रहेगी। छोटूराम विवि की ओर से इस बाबत प्रस्ताव बनाकर जनवरी में ही भेज दिया था, जिसे मंजूरी अब मिली है। सीएम कार्यालय से फाइल को मंजूरी मिलने के बाद अब विवि में भी इस बाबत जानकारी पहुंच चुकी है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। मंगलवार को इस बाबत अधिकारिक अधिसूचना जारी की जाएगी। इसका असर कॉलेजों में जारी दाखिला में देखने को मिलेगा। विवि के कुलसचिव डॉ. केपी सिंह ने बताया कि छोटूराम विवि को सोनीपत के कॉलेजों के अलावा अब पानीपत, करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल, यमुनानगर एवं अंबाला के इंजीनियरिंग कॉलेजों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहीं, दूसरी ओर फरीदाबाद के वाईएमसीए के हवाले गुड़गांव, मेवात, पलवल, महेंद्रगढ़, झज्जर एवं रेवाड़ी के इंजीनियरिंग संस्थान मिले हैं। तीसरा केंद्र हिसार का जीजेयू बना है, जिसके हवाले प्रदेश सरकार ने रोहतक, भिवानी, जींद, सिरसा, हिसार फतेहाबाद जिलों को सौंपा है। उन्होंने कहा कि यह प्रदेश सरकार का एक अच्छा कदम है। इससे इंजीनियरिंग के प्रति रुझान और बढ़ेगा।
प्रदेश सरकार की ओर से छोटूराम विवि से 106 इंजीनियरिंग कॉलेजों को संबद्ध किया गया है। इसकी पूरी प्रक्रिया सरकार के स्तर पर हो सकी है। सरकार का यह कदम इंजीनियरिंग को और ऊंचाई की ओर लेकर जाएगा। हम पहले से और बेहतर करने का प्रयास करेंगे। - प्रो.राजपाल दहिया, कुलपति दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विवि, मुरथल।
इंजीनियरिंगकॉलेजों को एक प्लेटफार्म पर लाने के लिए एसोसिएशन आफ सेल्फ फाइनेंस इंस्टीट्यूशन ऑफ हरियाणा की ओर से जो प्रयास किए जा रहे थे, उसे सफलता मिल गई है। सरकार के इस कदम से छोटूराम विवि में एक भरोसा बढ़ेगा। विजयपालनैन, उपाध्यक्ष, एसोसिएशन आॅफ सेल्फ फाइनेंस इंस्टिट्यूशन ऑफ हरियाणा।
- राजस्व बढ़ेगा। किसी भी एक निजी कॉलेज से छोटूराम विवि को साल में औसतन 40 से 50 लाख रुपए की आय होती है।
- प्रदेश में इंजीनियरिंग के प्रति रुझान जो हाल के समय में कम हो रहा था अब उस दिशा में और बेहतर ढंग से कार्य हो सकेगा।
- विद्यार्थियों के लिए इंजीनयिरिंग का बेहतर माहौल तैयार होगा।
- विद्यार्थियों को अब उच्च शिक्षा के लिए इधर-उधर भटकने की आवश्यकता नहीं होगी।
- एक बड़ा बदलाव सब्जेक्ट को लेकर होगा। इंजीनियरिंग के सब्जेक्ट अलग नहीं होंगे। अभी तक इंजीनियरिंग में काफी आर्ट भी पढ़ाई जाती है, अब इंजीनियरिंग में इंजीनियरिंग ही होगी।
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साभार: भास्कर समाचार
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